दोस्तों अगर आपको शेयर मार्केट से पैसे कमाने हैं, और आपको शेयर मार्केट का नॉलेज लेना है, तो आप सही जगह पे आए हो। शेयर मार्केट शुरू करने से पहले आपको शेयर मार्केट का बेसिक नॉलेज होना जरूरी होता है।
बेसिक नॉलेज लेते समय टेक्निकल एनालिसिस करने के लिए आपको कैंडलेस्टिक पेटर्न की पहचान होना जरूरी है।
इस लेख में हम Bullish Engulfing candlestick pattern के बारे में विस्तार से जानेंगे।
बुलिश एन्गल्फिंग कैंडलस्टिक पैटर्न एक एक डबल कैंडलेस्टिक पैटर्न है। इस प्रकार में दो कैंडल्स होती है एक कैंडल बेयरिश और दूसरी कैंडल बुलिश होती है। इस इस प्रकार का शेयर मार्केट में क्या महत्व है, इसका निर्माण, उसके पीछे की साइकोलॉजी आदि विषयों पर हम विस्तार से चर्चा करेंगे।
अगर आपने यह पूरा आर्टिकल अच्छे से पढ़ लिया तो मैं आपसे वादा करता हूं कि आपको Bullish Engulfing candlestick pattern in hindi यह फिर से सर्च करने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
1-Bullish Engulfing candlestick pattern क्या है
यह एक डबल कैंडलेस्टिक प्रकार है, इस प्रकार का निर्माण दो कैंडल को मिलाकर होता है, उसमें एक बेयरिश और दूसरी बुलिश कैंडल और होती है। पहले कैंडल का रंग लाल होता है और दूसरे कैंडल का रंग हरा होता है।
अगर पहली बेयरिश कैंडल छोटी तयार होती है,और अगली वाली बड़ी बुलिश कैंडल तैयार होकर वह पहले वाले कैंडल को 100% तक कवर करती है। आसान भाषा में पहलेवाली छोटी कैंडल को दूसरी कैंडल खा जाती है। इन दोनों कैंडल को संयुक्त रूप में बुलिश एन्गल्फिंग कैंडलस्टिक पैटर्न कहा जाता है।
जब मार्केट डाउन ट्रेन में जा रहा होता है तब इस कैंडलेस्टिक का निर्माण होता है। और यह कैंडल तैयार होने के बाद मार्केट ऊपर की तरफ चला जाता है। इसलिए इसे बुल्लिश रिवर्सल कैंडलेस्टिक पेटर्न कहते हैं।
कैंडलेस्टिक पेटर्न की खोज सबसे पहले जापानी व्यापारी होम्मा मुनेहीसा ने की थी। इसका उपयोग सबसे पहले व्यापार में किया जाता था। धीरे-धीरे पश्चिमी व्यापारियों ने इस कैंडलेस्टिक पैटर्न को शेयर बाजार के टेक्निकल एनालिसिस में उपयोग करना शुरू किया।
2 – Bullish Engulfing candlestick pattern की संरचना और निर्माण
चलिए जानते हैं कि इस पैटर्न की संरचना और निर्माण कैसे होती है।
1) बॉडी –
इस प्रकार में पहले कैंडल की बॉडी दूसरे कैंडल से छोटी होती है। बुलिश कैंडल बेयरिश कैंडल को पूरी तरह से निगल लेती है।
2) शैडो –
इस प्रकार में शैडो को ज्यादा महत्व नहीं दिया जाता। कभी-कभी शैडो होती है, तो कभी-कभी शैडो दिखाई नहीं देती। इस प्रकार में बॉडी के ऊपर या नीचे दोनों तरफ शैडो को ज्यादा महत्व नहीं देते। लेकिन शैडो निर्माण हुई तो उसका आकार बॉडी से हमेशा छोटा ही होता है।
3) सपोर्ट और रेजिस्टेंस –
प्रत्येक ट्रेडर को ट्रेड करते समय सपोर्ट और रेजिस्टेंस पॉइंट मालूम होना बहुत जरूरी होता है। यह कैंडलेस्टिक प्रकार हमें सपोर्ट लेवल दिखता है। Bullish Engulfing सपोर्ट लेवल पर तैयार होने के बाद मार्केट ऊपर जाने का संकेत देता है।
3 – Engulfing candlestick क्या है ?
आसान भाषा में Engulfing यानी की निगल जाना होता है। लेकिन शेयर बाजार में टेक्निकल एनालिसिस करते समय एन्गल्फिंग का अर्थ एक कैंडल दूसरी कैंडल को निगल लेती है, ऐसा होता है।
Engulfing candlestick के ट्रेंड और रंग के अनुसार इसके दो प्रकार पड़ते हैं।
1) Bullish Engulfing candlestick pattern (बुलिश एन्गल्फिंग कैंडलस्टिक पैटर्न )
यह प्रकार हम इस आर्टिकल में विस्तार से जानने वाले हैं। इसकी व्याख्या ऊपर दी हुई है।
2) Bearish Engulfing candlestick pattern (बेयरिश एन्गल्फिंग कैंडलस्टिक पैटर्न )
इस प्रकार में पहली छोटी बुलिश कैंडल होती है, और आगे तैयार होने वाली बड़ी बेयरीश कैंडल होती है। बेयरिश कैंडल पहले वाले छोटे कैंडल को 100% कर करते हैं।
इस कैंडलेस्टिक प्रकार को हमने विस्तार से दूसरे आर्टिकल में कवर किया है।
4 – Bullish Engulfing candlestick pattern की पहचान
टेक्निकल एनालिसिस करते समय आपको कैंडलेस्टिक प्रकारों की पहचान होना जरूरी होता है। कैंडलस्टिक को पहचान कर आपको अच्छे से इस्तेमाल करना आना चाहिए। तो चलिए जानते हैं इस कैंडलेस्टिक प्रकार की पहचान कैसे करें-
1) ट्रेंड को जाने –
शेयर बाजार में ट्रेंड नीचे की तरफ जा रहा है, या ऊपर की तरफ इसको सबसे पहले पहचाना है। जब ट्रेंड के नीचे की तरफ जा रहा होता है तब से पैटर्न का निर्माण होता है।
2) कन्फर्मेशन करें-
ट्रेंड को पहचानने के बाद दोनों कैंडल को बारीकी से देखकर पहले वाली कैंडल दूसरी कैंडल से छोटी है या नहीं इसे कंफर्म करें।
3) प्राइस एक्शन पर नजर रखें
डाउन ट्रेंड में अगर यह पैटर्न दिखाई देता है तो आपको प्राइस एक्शन पर नजर रखनी है।
5 – Bullish Engulfing candlestick pattern का महत्व
शेयर बाजार में टेक्निकल एनालिसिस करते समय हर एक कैंडलेस्टिक का अपना एक अलग महत्व होता है। यह आप पर निर्भर करता है कि आप उन कैंडलेस्टिक को कितनी अच्छी तरह से पहचान कर उनका उपयोग करते हैं।
जिन लोगों का बेसिक कैंडलेस्टिक पैटर्न का नॉलेज अच्छा है। वह इस कैंडल के प्रकार को पहचानने के बाद किसका अच्छे से फायदा करते हैं।
लेकिन कुछ लोग नॉलेज होने के बाद भी खुद पर कंट्रोल न होने के कारण यह कैंडलेस्टिक पेटर्न का उपयोग करने के बाद नुकसान कर बैठते हैं। और फिर इस कैंडलेस्टिक पेटर्न को दोष देते हैं।
कभी कबार मार्केट अनिश्चित तरीके से बर्ताव करता है तब आपको सावधान रहना चाहिए और यह कैंडल्स के प्रकार दिखाने के बावजूद भी शांति से मार्केट को सिर्फ और सिर्फ ऑब्जर्व करना चाहिए।
6 – Bullish Engulfing candlestick pattern में ट्रेड कब करें
अगर आप में शेयर मार्केट में नए हैं तो आपको यह कैंडलेस्टिक पेटर्न पेपर ट्रेडिंग करते समय जरूर आजमाना चाहिए। बाद में कॉन्फिडेंस लेवल बढ़ाने के बाद आपको रियल ट्रेडिंग करते समय इस पैटर्न को आज ना कर देखना चाहिए।
चलिए जानते हैं Bullish Engulfing candlestick pattern दिखाई देने के बाद ट्रेड कब लेना चाहिए –
1) पैटर्न की पहचान करें
ट्रेड करने से पहले आपको यह पैटर्न कौन से ट्रेंड में तैयार हो रहा है इसकी पहचान करनी चाहिए।
आप को यह पैटर्न डाउन ट्रेन में तैयार होता हुआ दिखाई देगा।
2) कंफर्मेशन लेना
इस प्रकार में पहली बेयरिश कैंडल दूसरी बुलिश कैंडल से छोटी है या नहीं इसे कंफर्म करें।
3) एंट्री और एग्जिट प्वाइंट
यह पैटर्न दिखाई देने के बाद हमें एंट्री और एग्जिट प्वाइंट फिक्स करने में मदद होती है। यह पैटर्न दिखाई देने के बाद आप खुद का रिस्क और रिवॉर्ड रेशों मैनेज करके एंट्री और एग्जिट प्वाइंट को फिक्स करें।
4) मार्केट पर नजर रखें
शुरुआत में सभी नया ट्रेडर लोगों को ट्रेड लेने के बाद मार्केट में नजर रखनी चाहिए। जब तक ट्रेड पूरा नहीं होता तब तक आपको उसे देखते रहना है।
5) मूल्यांकन करें
इस प्रकार को पहचानने के बाद भी अगर आपको नुकसान होता है तो आपको खुद का मूल्यांकन करने की जरूरत है। ट्रेड लेते समय आपने क्या गलतियां की है उसे बारीकी से खोज कर उस पर कम करें।
7 – Bullish Engulfing candlestick pattern स्टॉपलॉस और टारगेट
प्रत्येक ट्रेडर को रिस्क एंड रीवार्ड रेशों मैनेज करके , ट्रेड करते समय स्टॉपलॉस एंड टारगेट जरूर लगाना चाहिए। शुरुआत में ट्रेडिंग में उतरने से पहले आपको पेपर ट्रेडिंग करनी चाहिए। और पेपर ट्रेडिंग करते समय भी स्टॉपलॉस और टारगेट लगाने का प्रयास करना चाहिए।
चलिए इसे एक उदाहरण से समझते हैं।
1) Bullish Engulfing candlestick pattern में टारगेट
मान लीजिए की डाउन ट्रेंड में आपको यह कैंडलेस्टिक पेटर्न दिखाई देता है। पहले छोटी सी बेयरीश कैंडल तैयार होती है, और दूसरी वाली हरि बड़ी कैंडल तैयार होती है।
दूसरे बुलिश एन्गल्फिंग कैंडल का
लो प्राइस – 1000
इसके बाद बनने वाली अगली हरी वाली कैंडल का
लो प्राइस – 1024
हाय प्राइस – 1042
अगर इस कंफर्मेशन कैंडल ने उसका हाय ब्रेक कर दिया तो, आप एंट्री कर सकते हैं और फिर
आपका टार्गेट = एंट्री point + ( एंट्री पॉइंट – बुलीश एन्गल्फिंग )
आपका टार्गेट = 1042 +( 1042 -1000)
आपका टार्गेट =1042 + 42
आपका टार्गेट = 1082 रुपये होना चाइए।
2) Bullish Engulfing candlestick pattern में स्टॉपलॉस
शेयर बाजार में ट्रेडिंग करते समय हर एक ट्रेडर को स्टॉपलॉस लगाना चाहिए। यह कैंडलेस्टिक पेटर्न दिखाई देने के बाद आपको ऊपर दिए गए उदाहरण में 1000 पर स्टॉपलॉस लगाना चाहिए।
8 – Bullish Engulfing candlestick pattern की साइकोलॉजी
बुलिश एन्गल्फिंग कैंडलस्टिक पैटर्न दिखाई देने के बाद, सेलर्स और बायर्स दोनों के साइकोलॉजी में बदलाव होता है। इस बदलाव के कारण नीचे जा रहा ट्रेंड ऊपर की तरफ रिवर्स होकर चला जाता है।
यह प्रकार देखने के बाद सेलर्स और बायर्स के साइकोलॉजी में यह बदलाव होता है कि,
1) इस प्रकार का निर्माण होने के पहले बड़े लेवल पर बिक्री करके मार्केट को नीचे लेकर आए हुए होते हैं। लेकिन यह प्रकार दिखाई देने के बाद सेलर्स बिक्री करना कम कर देते हैं।
2) इस प्रकार का निर्माण होने के बाद बायर्स मार्केट में बड़े लेवल पर खरीदी करना शुरू करते हैं। इस कारण से बायर्स का मार्केट पर प्रभाव पड़ता है मार्केट ऊपर की तरफ चला जाता है।
9 – Bullish Engulfing candlestick pattern के एडवांटेजेस एंड डिसएडवांटेजेस
शेयर बाजार में ट्रेडिंग करते समय हर एक कैंडलेस्टिक प्रकार के दो पहलू होते हैं। इस वजह से Bullish Engulfing candlestick pattern के भी दो पहलू होते हैं।
A) एडवांटेज
इस कैंडलेस्टिक प्रकार को अगर आपने अच्छे से पहचान कर ली। तो आपको इसका फायदा हो सकता है।
1) रिवर्सल संकेत
जब मार्केट नीचे की तरफ जा रहा होता है तब यह कैंडलेस्टिक प्रकार तैयार होता है, और हमें मार्केट ऊपर जाने का संकेत देता है। इसलिए इस प्रकार का यह एडवांटेज है कि यह हमें रिवर्सल सिग्नल देता है।
2) दृष्टिकोण
इस पैटर्न का निर्माण होने के बाद बायर्स और सेलर्स के दृष्टिकोण में बदल होकर मार्केट में बिक्री कम होकर ज्यादा खरीदी होती है।
3) मल्टीपल टाइम फ्रेम प्रयोग
यह कैंडलेस्टिक प्रकार हमें मल्टीप्ल टाइम फ्रेम में दिखाई देता है। इसलिए अगर इस प्रकार को अच्छे से पहचान लिया तो हम इसका उपयोग मल्टीप्ल टाइम फ्रेम में कर सकते हैं।
4) एंट्री और एग्जिट प्वाइंट
यह कैंडलेस्टिक प्रकार दिखाई देने के बाद हमें एंट्री और एग्जिट प्वाइंट फिक्स करने में मदद होती है।
B) डिसएडवांटेजेस
अगर आपने इस कैंडल स्टिक प्रकार को पहचानने के बाद भी खुद पर काबू नहीं रखा तो आपको नीचे दिए गए डिसएडवांटेज हो सकते हैं।
1) गलत संकेत
शेयर बाजार में आपको ट्रेंड किस तरफ जा रहा है यह समझ में नहीं आया तो आपको इस कैंडलस्टिक प्रकार की पहचान होने के बाद भी फायदा नहीं होता है। आपको गलत संकेत के कारण नुकसान उठाना पड़ सकता है।
2) क्लेरिटी
अगर आपने खुद पर कंट्रोल रखें रिस्क और रिवॉर्ड रेशों मैनेज नहीं किया, और खुद के एनालिसिस में क्लेरिटी नहीं ले तो इस पैटर्न को पहचानने के बाद भी आपको नुकसान उठाना पड़ सकता है।
10 – Bullish Engulfing candlestick pattern का वीडियो देखे
FAQ
(Bullish Engulfing candlestick pattern In Hindi)
1) Engulfing मोमबत्ती क्या है?
हमारी आसान भाषा में Engulfing यानी कि निगल लेना। लेकिन शेयर बाजार के कैंडलेस्टिक प्रकार में एक छोटी कैंडल को बड़ी कैंडल पूरी तरह से बड़ी तैयार होकर निगल जाती है। उस बड़ी वाली कैंडल को Engulfing मोमबत्ती कहते हैं।
2) आप Engulfing पैटर्न का उपयोग कैसे करते हैं?
शेयर बाजार में ट्रेंड को पहचानने के बाद और Engulfing कैंडल का निर्माण कब होता है, इसे कंफर्म करने के बाद Engulfing पैटर्न का उपयोग करते हैं।
3) बुलिश एनगल्फिंग कितने प्रकार के होते हैं।
यह एक डबल कैंडलेस्टिक प्रकार है। इस प्रकार में दो कैंडल तैयार होती है। पहले कैंडल छोटी बेयरिश होती है और दूसरी bullish बड़ी कैंडल होती है।
4) क्या बुलिश एनगल्फिंग में विक्स शामिल है?
इस प्रकार में विक्स को ज्यादा महत्व नहीं दिया जाता। कभी कबार छोटी सी विक्स दिखाई देती है या कभी कबार होती भी नहीं।
5) क्या बुलिश एनगल्फिंग अच्छा होता है?
यह पैटर्न किस समय तैयार होता है और उस समय आपकी मानसिकता कैसी है इस पर निर्भर करता है कि इस पैटर्न का महत्व क्या है।
6) बुलीश और बेयरिश एनगल्फिंग कैंडलेस्टिक प्रकार में क्या फर्क है?
बुलीश एनगल्फिंग प्रकार तैयार होने के बाद ट्रेंड नीचे से ऊपर की तरफ जाता है, बेयरिश एनगल्फिंग के बाद ट्रेंड ऊपर की तरफ जाता है।
Conclusion ( Bullish Engulfing candlestick pattern In Hindi )
इस में इस लेख में हमने Bullish Engulfing candlestick pattern को विस्तार से जानने की कोशिश की है। इस पैटर्न का शेयर बाजार में महत्व क्या है, इसका निर्माण कब होता है, यह पैटर्न दिखाई देने के बाद ट्रेड कब करना चाहिए आदि विषयों पर विस्तार से चर्चा की है।
शेयर बाजार में ट्रेडिंग करते समय सबसे पहले आपको बेसिक कैंडलेस्टिक प्रकारों को जानने के बाद उसे पेपर ट्रेडिंग करते समय आजमाना चाहिए। है कैंडलेस्टिक प्रकार को आप सबसे पहले पेपर ट्रेडिंग करते समय आजमा कर देखिए। और अगर आपको इसे आजमाते समय कोई सवाल आते हैं तो आप उन सवालों को नीचे पूछ सकते हैं। हम पूरी कोशिश करेंगे कि आपके सवालों के जवाब दे सकें।
बाकी सभी candlestick प्रकारों के बारे में अगर आपको जानकारी लेनी है, तो आप उन प्रकारों को हमारे इसी वेबसाइट के बाकी आर्टिकल पढ़ कर जान सकते हैं।
पिछले 6 सालो से हम शेयर बाजार में निवेश तथा रिसर्च कर रहे है। हम आसन भाषा में इस वेबसाइट पर फ्री में जानकारी देने की कोशिश करते है।
Contents
- 1 1-Bullish Engulfing candlestick pattern क्या है
- 2 2 – Bullish Engulfing candlestick pattern की संरचना और निर्माण
- 3 3 – Engulfing candlestick क्या है ?
- 4 4 – Bullish Engulfing candlestick pattern की पहचान
- 5 5 – Bullish Engulfing candlestick pattern का महत्व
- 6 6 – Bullish Engulfing candlestick pattern में ट्रेड कब करें
- 7 7 – Bullish Engulfing candlestick pattern स्टॉपलॉस और टारगेट
- 8 8 – Bullish Engulfing candlestick pattern की साइकोलॉजी
- 9 9 – Bullish Engulfing candlestick pattern के एडवांटेजेस एंड डिसएडवांटेजेस
- 10 10 – Bullish Engulfing candlestick pattern का वीडियो देखे
- 11 FAQ
- 12 (Bullish Engulfing candlestick pattern In Hindi)
- 13 Conclusion ( Bullish Engulfing candlestick pattern In Hindi )