शेयर बाजार में Future Trading in hindi

अगर आप शेयर बाजार में ट्रेडिंग करना चाहते हैं, तो आपको ट्रेडिंग के सभी प्रकार मालूम होने चाहिए। ट्रेडिंग करते समय आपने फ्यूचर ट्रेडिंग का नाम सुना होगा। तो चलिए इस लेख में हम विस्तार जानेंगे कि, Future Trading kya hota hai, फ्यूचर ट्रेडिंग कैसे किया जाता है, और यह ट्रेडिंग करने के फायदे और नुकसान क्या है।

अगर आपने यह लेख अच्छे से पढ़ लिया तो आपको फिर से “Future trading in hindi” यह जानने की जरूर नही पड़ेगी।

फ्यूचर ट्रेडिंग क्या होता है (Future trading in hindi)

स्टॉक एक्सचेंज के माध्यम से किसी भी फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट को खरीदने और बेचने की प्रक्रिया को फ्यूचर ट्रेडिंग कहा जाता है।

Future Trading in hindi ( What is Future Trading )

आसान भाषा में हम यह कह सकते हैं कि अगर हमें लगता है कोई शेयर या इंडेक्स भविष्य में सस्ता होने वाला है, या फिर महंगा होने वाला है, तो हम उसके लिए एक छोटा सा मार्जिन अमाउंट स्टॉक एक्सचेंज को देखकर उसे बुक करते हैं, उसे फ्यूचर ट्रेडिंग कहा जाता है।

फ्यूचर ट्रेडिंग में कॉन्ट्रैक्ट क्या होता है

दोस्तों अगर आपको लगता है कि किसी स्टॉक की प्राइस बढ़ने वाली है, या फिर किसी स्टॉक की प्राइस घटने वाली है, तब आप भविष्य का अंदाजा लगाकर स्टॉक के कॉन्ट्रैक्ट खरीद सकते हैं, या फिर बेच सकते हैं।

यह कॉन्ट्रैक्ट आपको स्टॉक एक्सचेंज गारंटी के साथ देती है। क्योंकि स्टॉक एक्सचेंज खरीदने वाले और बेचने वाले दोनों से 10 परसेंट का पहलेसे मार्जिन लेता है। एक्सपायरी के पहले आप कॉन्टैक्ट कभी खरीद या बेच सकते है।

फ्यूचर ट्रेडिंग में कॉन्ट्रैक्ट कितने प्रकार के होते हैं

दोस्तों फ्यूचर ट्रेडिंग में कॉन्ट्रैक्ट तीन प्रकार के होते हैं। इन्हीं तीन प्रकारों में आप फ्यूचर ट्रेडिंग कर सकते हैं।

1) चालू महीने का कॉन्ट्रैक्ट ( Current Month )

इस कॉन्ट्रैक्ट में आपको जिस महीने में कॉन्ट्रैक्ट खरीदा है उसी महीने में उसे बेचना पड़ता है। और अगर आपने कॉन्ट्रैक्ट को बेचा है, तो इसी महीने में उसे फिर से खरीदना पड़ता है। खरीदने और बेचने का समय सिर्फ एक महीने के लिए होता है।

उदाहरण

मान लीजिए कि आपने निफ्टी 50 का फ्यूचर 1 मार्च में खरीद लिया है। तो इस कॉन्ट्रैक्ट को आपको इस महीने के एक्सपायरी पर बेचना पड़ेगा।

2) अगले महीने का कॉन्ट्रैक्ट ( Near Month)

अगले महीने का कॉन्ट्रैक्ट यानी कि जो महीना चल रहा है उससे अगले महीने का कॉन्ट्रैक्ट खरीद सकते है, या फिर बेच सकते है। प्लीज कॉन्ट्रैक्ट में आपको खरीदने और बेचने के लिए लगभग 2 महीने का समय मिलता है।

उदाहरण

कि आपने निफ्टी 50 का एक फ्यूचर खरीद लिया। आपने यह फ्यूचर 1 मार्च को खरीदा है, तो आप उसे अप्रैल की एक्सपायरी तक होल्ड कर सकते हैं।

3) सुदूर महीने का कॉन्ट्रैक्ट ( Far Month )

Far महीने के कांटेक्ट में आप लगभग 3 महीने के कॉन्ट्रैक्ट को आप खरीद या बेच सकते हैं। इस कॉन्ट्रैक्ट में उतारने के बाद लगभग 3 महीने आपके पास होते थे। इसलिए इसे Far Month कॉन्ट्रैक्ट कहा जाता है।

उदाहरण

मान लीजिए कि आपने निफ्टी 50 के फ्यूचर को 1 मार्च को खरीद लिया है। तो आपको कॉन्ट्रैक्ट को मार्च अप्रैल और मई तक होल्ड कर सकते है। मई की एक्सपायरी पर आपको यह कॉन्ट्रैक्ट बेचना पड़ेगा।

Future trading Standardised होते है

दोस्तों सभी फ्यूचर स्टैंडर्डाइज्ड होते हैं, यानी कि इस कॉन्ट्रैक्ट में फ्यूचर डेट, साइज, डिलीवरी सभी पहले से तय होता है।

Future Trading में मार्जिन क्या होता है

जब आप फ्यूचर ट्रेडिंग करते हैं तब आपको मार्जिन दिया जाता है। इसे एक उदाहरण से जानते हैं।

मान लीजिए कि आपको निफ्टी का फ्यूचर खरदीना है, तो आपको लगभग 10 लाख रुपए के आसपास पैसे देने पड़ेंगे। अगर आपके पूरे 10 लाख रुपए देने पड़ेंगे तो हर कोई ट्रेड नहीं कर पाएगा।

इसीलिए अगर आपको यह कॉन्ट्रैक्ट खरीदना है, तो आपको अच्छा खासा मार्जिन मिलता है और आप कम कीमत में यह कॉन्ट्रैक्ट खरीद सकते हैं।

किसी भी प्रकार का इंडेक्स और शेयर्स खरीदते वक्त और बेचते वक्त आपको 10 परसेंट का मार्जिन स्टॉक एक्सचेंज को पहले से देना पड़ता है।

अगर आपको किसी भी प्रकार से लॉस होता है, और आपका मार्जिन कम होने लगता है, तो स्टॉक एक्सचेंज आपको और मार्जिन देने के लिए कहता है।

फ्यूचर ट्रेडिंग में एक्सपायरी क्या होती है

जिस दिन आपका कॉन्ट्रैक्ट खत्म होने वाला होता है उस दिन को एक्सपायरी डेट कहा जाता है।

मान लीजिए कि आपने 1 मार्च को SBI का फ्यूचर करंट महीने के लिए खरीद लिया है, तो आपको इस कॉन्ट्रैक्ट को मार्च के आखिरी गुरुवार तक पूरा करना होगा।

अगर आप चाहे तो मार्च के आखिरी बरवार तक कॉन्ट्रैक्ट से एग्जिट हो सकते हैं। लेकिन अगर आप आखिरी गुरुवार तक कॉन्ट्रैक्ट से बाहर नहीं निकले तो आपको उस दिन SBI के फ्यूचर कांट्रैक्ट मुताबिक शेयर्स खरीदने होगे।

अगर आप इस कॉन्ट्रैक्ट से बाहर नहीं निकले तो एक्सपायरी दिन तक आपको आपके dmat अकाउंट में एसबीआई के शेयर्स खरीदने जितना अमाउंट क्रेडिट करना होगा।

Future Trading में Lot size कितनी होती है

दोस्तों फ्यूचर ट्रेडिंग करते समय आप किसी भी कंपनी का सिर्फ एक दो शेयर खरीद नहीं सकते , इस प्रकार से आप किसी भी इंडेक्स के एक दो क्वांटिटी नहीं खरीद सकते । आपको कोई भी शेयर्स और इंडेक्स खरीदते वक्त उसे लॉट साइज में खरीदना होता है ।

हर एक शेयर्स की लॉट साइज अलग-अलग होती है और हर एक इंडेक्स की भी लॉट साइज अलग-अलग होती है।

Index/Shares                 Lot Size                 Lot Value in Rs.

Nifty                               75                            11.83 lakh
Bank Nifty                      25                            8.75 lakh
ACCESS                          500                          10.10 lakh
Asian Paints                   300                           9.05 lakh

Future Trading में Roll Over

दोस्तों फ्यूचर ट्रेडिंग करते समय अगर आपको ऐसा लगता है कि आपकी पोजीशन लॉस में जा रही है, अपने जैसा अंदाजा लगाया था उसे तरह से मार्केट में बर्ताव नहीं किया तो आप अपने पोजीशन को अगले महीने के लिए रोल ओवर कर सकते हैं।

आसान भाषा में इसका यह मतलब होता है, कि आप अपनी ट्रेड को एक्सपायरी डेट खत्म होने के बाद भी अगले महीने के लिए उसे होल्ड कर सकते हैं। लेकिन उसके लिए आपको और थोड़ा मार्जिन देना पड़ेगा।

Future Trading Hedgging के लिए महत्वपूर्ण

अगर शेयर बाजार में किसी कारणवश भविष्य में बड़े लेवल पर उतार-चढ़ाव आने वाला है, तो ज्यादातर बड़ी कंपनियां अपने एसेट्स को बैलेंस रखने के लिए हेजिंग का उपयोग करती है।

एक उदाहरण के साथ समझते हैं

एबीसी लिमिटेड कंपनी का शेयर प्राइस 1500 रुपए है। कंपनी को अंदाजा है कि भविष्य में मंदी आ सकती है और इसका प्राइस गिर सकता है। तो कंपनी अपने शेयर्स की प्राइस बैलेंस रखने के लिए फ्यूचर को सेल करती है। इससे कंपनी के असेट्स की वैल्यू बैलेंस रखने में कंपनी को मदद होती है।

Future Trading के फायदे

1) फ्यूचर ट्रेडिंग में आप कॉन्ट्रैक्ट लेने के बाद भाग नहीं सकते। अगर आपको किसी भी प्रकार का लॉस हो रहा है, तो आपको ज्यादा मार्जिन देकर उस कॉन्ट्रैक्ट में आखिर तक बने रहना होता है।

2) अगर आपको उस कॉन्ट्रैक्ट से बाहर निकलना है तो वर्तमान समय तक आपको जितना भी प्रॉफिट हुआ है, या फिर जितना भी नुकसान हुआ है, उसे लेकर बाहर निकालना पड़ता है।

3) इसीलिए फ्यूचर ट्रेडिंग हमें यह गारंटी देता है कि आप जब कोई कॉन्ट्रैक्ट लेते हैं तब अगले वाला आदमी उसे कॉन्ट्रैक्ट को छोड़कर ऐसे ही भाग नहीं सकता।

4) फ्यूचर ट्रेडिंग में बायर्स और सेलर्स दोनों से मार्जिन लिया जाता है।

5) इस ट्रेडिंग में आपको अगला व्यक्ति कौन है यह मालूम नहीं होता है। और उसे मालूम करने की कोई जरूरत भी नहीं होती। क्योंकि हमारा स्टॉक एक्सचेंज दोनों की जिम्मेदारी लेता है।

6) फ्यूचर ट्रेडिंग में हम कभी भी कॉन्ट्रैक्ट कैंसिल कर सकते हैं। सिर्फ कॉन्ट्रैक्ट कैंसिल करते समय आपको जो कोई प्रॉफिट या नुकसान हुआ है उसे लेकर कैंसिल करना पड़ता है।

फ्यूचर ट्रेडिंग के नुकसान

1) फ्यूचर ट्रेडिंग में कॉन्ट्रैक्ट कस्टमाइजेबल नहीं होते हैं।

2) फ्यूचर ट्रेडिंग शेयर ट्रेडिंग के तुलना में ज्यादा रिस्की होती है। क्योंकि इस ट्रेडिंग में आपको सटीक अंदाज़ लगाने के लिए अच्छे खासे नॉलेज की जरूरत होती है।

3) जो लोग शेयर मार्केट में नए है, उनके लिए यह एड्रेस खतरनाक साबित हो सकती है। क्योंकि इस ट्रेडिंग में आपने एक्सपायरी से पहले ट्रेड पूरा नहीं किया तो आपको पूरा कॉन्ट्रैक्ट खरीदना पड़ता है।

4) शुरुआत में यह ट्रेडिंग करते समय बहुत ही कम अमाउंट लगता है, लेकिन एक्सपायरी आते समय आपको आपके अकाउंट में कॉन्ट्रैक्ट की क्वांटिटी जितनी अमाउंट की जरूरत होती है।

FAQ

1) फ्यूचर में ट्रेडिंग कैसे करते हैं?
फ्यूचर में ट्रेडिंग करने के लिए आपको किसी भी इंडेक्स का या फिर शेयर का लॉट खरीदना या बेचना होता है। उस लॉट को आप कॉन्ट्रैक्ट के साथ भविष्य के लिए खरीदते या बेच सकते है।

2) शेयर मार्केट में फ्यूचर ऑप्शन क्या होता है?
जब आप किसी भी शेयर्स का या फिर इंडेक्स का लॉट साइज भविष्य के लिए कॉन्ट्रैक्ट के माध्यम से खरीदते हैं, या फिर बेचते हैं उसे शेयर मार्केट में फ्यूचर ऑप्शन कहां जाता है।

3) फ्यूचर ऑप्शन ट्रेडिंग कैसे करें?
फ्यूचर ऑप्शन ट्रेडिंग करने के लिए आपको भविष्य शेयर्स और इंडेक्स के लॉट साइज कॉन्ट्रैक्ट के माध्यम से खरीदने होते हैं। और उन्हें एक्सपायरी डेट तक पूरा करना होता है।

4) फ्यूचर ट्रेड करने के लिए मुझे कितना पैसा चाहिए?
फ्यूचर ट्रेड करने के लिए आपको जिस शेयर का या फिर इंडेक्स का लॉट लेना चाहते हैं, उस लॉट के हिसाब से आपको सुरुवात मे सिर्फ 10% margin की आवश्यकता होती है।

5) क्या आप फ्यूचर्स पर पुट खरीद सकते हैं?
फ्यूचर्स में आप सिर्फ buy या sell कर सकते है।

Conclusion

दोस्तों इस लेख में हमने फ्यूचर ट्रेडिंग क्या होती है, और फ्यूचर ट्रेडिंग कैसे करते हैं, इसके साथ उसकी सभी संकल्पनाओं को विस्तार से जानने कोशिश की है। एक्सपायरी क्या होती है, लॉट साइज क्या होता है, आदि विषयों को हमने विस्तार से समझने की कोशिश की है।
फ्यूचर ट्रेडिंग करने से पहले आपको ट्रेडिंग के सभी बेसिक संकल्पनाओं की की जानकारी होनी चाहिए।

“Future trading in hindi” यह लेख पढ़ने के बाद भी अगर आपके मन में कोई सवाल उत्पन्न होता है, तो आप हमें उसे सवाल को नीचे पूछ सकते हैं। हम पूरी कोशिश करेंगे कि आपके सवाल का जवाब दे सके।

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