इंट्राडे ट्रेडिंग हिंदी में ( Intraday trading in hindi )

दोस्तों शेयर मार्केट एक कुआ है। यहां से आपको जितना चाहे उतना पैसा निकाल सकते हैं। लेकिन उसके लिए आपको पहले शेयर मार्केट क्या है यह सीखना चाहिए। अपने मन को काबू रखकर शेयर मार्केट के प्रकार को अच्छे से समझना चाहिए। इंट्राडे ट्रेडिंग शेयर मार्केट के प्रकारों में से एक प्रकार है। जिन लोगों को इंट्राडे ट्रेडिंग सीखने है।  उनके लिए मैंने मेरे अनुभव द्वारा इस आर्टिकल में intraday trading in hindi इसकी विस्तार से जानकारी देने की कोशिश की है। यह आर्टिकल पढ़ने के  बाद आपको what is intraday trading in hindi यह सवाल फिर से गूगल पर सर्च करने की जरूरत नहीं पड़ेगी।

1 – शेयर मार्केट में ट्रेडिंग क्या है ? ( What is                  Trading in share market ? )

इंट्राडे ट्रेडिंग हिंदी में ( Intraday trading in hindi )

ट्रेडिंग शब्द का आसान भाषा में अर्थ “व्यापार” होता है। मतलब बाजार में किसी भी वस्तु का आदान-प्रदान करके मुनाफा कमाना।
लेकिन शेयर मार्केट में वस्तुओं का आदान प्रदान के अलावा कंपनियों के शेयर का आदान-प्रदान किया जाता है।
शेयर मार्केट में ट्रेडिंग का अर्थ होता है कंपनियों के शेयर और बेचकर मुनाफा कमाने की कोशिश करना।
शेयर बाजार में जो व्यक्ति शेयर खरीदता है, या बेचता है, उसे ट्रेडर कहा जाता है। शेयर बाजार में ट्रेडर शेयर को कम कीमत पर खरीदता और ज्यादा कीमत पर बेच देता है। या फिर इसका उल्टा भी करता है,  ज्यादा कीमत पर बेच देता है और कम कीमत पर खरीद लेता है। इसी को आसान भाषा में ट्रेडिंग कहा जाता है।

2 – शेयर बाजार में ट्रेडिंग के प्रकार ( Types of              trading in share market )

इंट्राडे ट्रेडिंग हिंदी में ( Intraday trading in hindi )

शेयर बाजार में अच्छी तरह से खुद की एनालिसिस करके और मन को काबू रखकर बाजार का फायदा लिया जा सकता है। ट्रेडिंग के कुछ प्रकार पढ़ते हैं। उन प्रकारों का वर्गीकरण उनके होल्डिंग टाइम के अनुसार किया जाता है।

1 – इंट्राडे ट्रेडिंग/ डे ट्रेडिंग (Intraday trading/Day Trading )
2 – डेरिवेटिव स्पैक्यूलेशन ( Derivative speculation )
3 – फ्यूचर ट्रेडिंग ( Future Trading )
4 – ऑप्शन ट्रेडिंग ( Option Trading )
5 – स्विंग ट्रेडिंग ( Swing Trading )
6 – स्केप्लिंग ट्रेडिंग ( Scalping Trading )
7 – मार्जिन ट्रेडिंग ( Margin Trading )
8 – पोजीशनल ट्रेडिंग ( Positional Trading )
9 – डिलीवरी ट्रेडिंग ( Delivery Trading )
10 – मुहूर्त ट्रेडिंग ( Muhurt Trading )

इन प्रकारों के बारे में बाकी आर्टिकल में हम विस्तार से जानकारी देने वाले हैं।  इस  आर्टिकल में हम सिर्फ इंट्राडे ट्रेडिंग पर विस्तार से चर्चा करेंगे।

3 – इंट्राडे ट्रेडिंग इन हिंदी ( Intraday Trading in          hindi  )

इंट्राडे ट्रेडिंग हिंदी में ( Intraday trading in hindi )

कोई भी ट्रेडर कंपनी के शेर को खरीद कर उसी दिन लॉस या प्रॉफिट में बेच देता है, फोन करती है अर्थात वह ट्रेडर अपनी पोजीशन सिर्फ एक ही दिन में काट लेता है, जिसमे वह अगले दिन के लिए ट्रेड होल्ड नहीं कर सकता है उसे इंट्राडे ट्रेडिंग कहा जाता है।

आसान भाषा में इंट्राडे ट्रेडिंग करते समय ट्रेडर एक ही दिन में ट्रेड खरीदता भी है और बेचता भी है, या फिर इसका उल्टा भी कर सकते हैं, मतलब वह एक ही दिन में अपनी पोजीशन काट लेता है ।

इंट्राडे ट्रेडिंग में जिस दिन ट्रेडर ने ट्रेड खरीदा है उसी दिन उसे ट्रेड बेचना जरूरी होता है। या फिर अगर ट्रेडर ने शेयर बेचा है तो उसे उसी दिन शेयर खरीदना जरूरी होता है।

अगर ट्रेडर ने इंट्राडे में खरीदा हुआ शेयर बेचा नही तो यह बेचने की प्रक्रिया ट्रेडर का ब्रोकर दिन के अंत मे उसी दिन कर देता है। फिर वहां पर ट्रेडर को नुकसान भी सहना पड़ सकता है।

जिस दिन ट्रेडर स्क्वायर ऑफ (Square off ) करना भूल जाता है उस दिन ब्रोकर खुद ट्रेडर के अकाउंट से स्क्वायर ऑफ करने का चार्ज लेता है। इसलिए ट्रेडर को खुद अपनी पोजीशन को स्क्वायर ऑफ करना चाहिए। नहीं तो ट्रेंडर को  नुकसान भुगतना पड़ सकता है।

A ) इंट्राडे ट्रेडिंग समझे उदाहरण से

मान लीजिए आप एबीसी कंपनी के 50 शेर खरीदना चाहते हो। एक शेर की कीमत ₹100 है ।
50*100 =5000
इसलिए आपको ₹5000 की जरूरत होगी।

लेकिन जब आप किसी भी कंपनी का शेयर खरीदने हैं, तो आपको आपके ब्रोकर द्वारा कुछ मार्जिन दिया जाता है। इस उदाहरण में समझ लीजिए की हमारे ब्रोकर ने हमें 50% मार्किंग दिया है।

ब्रोकर 50% मार्जिन देने के बाद आप ₹5000 से दुगने शेयर खरीद सकते हैं।

आप 100 पर लिया हुआ शेयर 110 पर बेचना चाहते है। और आपके एनालिसिसके अनुसार आपने 95 का स्टॉप लॉस लगाया है।

यदि आपका टारगेट हिट होता है, तो आपको नीचे दिखाया गया लाभ होगा।
100*110-100*100 = 1000

और यदि आपका स्टॉपलॉस हिट होता है, तो आपको नीचे दिखाया गया नुकसान होगा।
100*95-100*100=500

इस प्रकार से आप रिस्क एंड रिवॉर्ड रेश्यो मैनेज करके इंट्राडे ट्रेडिंग में मुनाफा भी कमा सकते हैं या फिर लॉस भी कर सकते हैं।

B ) इंट्राडे ट्रेडिंग में मार्जिन क्या होता है 

इंट्राडे ट्रेडिंग हिंदी में ( Intraday trading in hindi )

ट्रेडिंग करते समय ट्रेडर के अकाउंट में जितना पैसा होता है, उससे अधिक शेयर की खरीदी बिक्री करने की अनुमति देना उसे मार्जिन या लीवरेज कहा जाता है।
आसान भाषा में ब्रोकरेज कंपनियों आपको एक दिन के लिए उधार देते हैं। लेकिन इसके बदले ब्रोकर कंपनियां आपसे इंट्रेस्ट भी चार्ज करती है।

शुरुआत में जो लोग शेयर मार्केट में नए होते हैं, उन्हें बेसिक क्लियर करने के बाद भी जब तक वह अच्छा अनुभव नहीं ले लेते, तब तक उन्हें इन ब्रोकर कंपनियों के मार्जिन का प्रयोग नहीं करना चाहिए। कोई भी ट्रेडर मार्जन लेकर यदि सही ट्रेड करता है तो उसे ज्यादा लाभ मिलता है। लेकिन गलती से भी कोई गलत ट्रेड खरीद लिया तो उसे मार्जन का बहुत बड़ा खामियाजा भुगतना पड़ता है।
यानी कि आपको जहां पर सिर्फ 10% का नुकसान होना चाहिए था वहां पर अगर आपने मार्जिन लिया है, तो 20% हो जाता है  क्योंकि तब अपने 50% की मार्जिन ली होती है।

मार्केट में जितनी ब्रोकर कंपनियां है। वह अलग-अलग प्रतिशत मार्जिन देती है। कुछ कंपनियां 20 से 80% मार्जिन देती है। आप जितने मार्जिन का प्रयोग करोगे उतना ही आपका रिस्क बढ़ेगा। इसलिए मार्जिन लेने से पहले सोच समझ कर ले और आपको अनुभव होने के बाद ही मार्जिन लेने की सोचें।

4 – शेयर मार्केट में इंट्राडे ट्रेडिंग कैसे करें ( How to       do intraday trading in share market )

इंट्राडे ट्रेडिंग हिंदी में ( Intraday trading in hindi )

शेयर मार्केट में इंट्राडे ट्रेडिंग करने के लिए आपको नीचे कुछ स्टेप्स दिए गए हैं।

1) यदि आपको शेयर बाजार में इंट्राडे ट्रेडिंग करना है तो सबसे पहले आपको किसी भी ब्रोकर कंपनी से एक डीमैट अकाउंट खोलना पड़ेगा।

2) हमारे देश में कई ब्रोकर कंपनियां है । उसमें से कोई भी जो अच्छी सर्विस देती हो उनके पास अकाउंट ओपन करें।

3) डिमैट अकाउंट खोलने के बाद पेपर ट्रेडिंग करने की कोशिश करें।

4) शेयर मार्केट का कौन सा प्रकार आपके स्वभाव को सूट करता है उसे खुद ढूंढे।

5) अनुभव प्राप्त करने के बाद ट्रेडिंग शुरू करें।

A ) एक्चुअल इंट्राडे ट्रेडिंग कैसे काम करता है?

शेयर बाजार में ट्रेडिंग करने का काम एकदम आसान होता है। वहां पर आपको सिर्फ शेयर खरीदना है या फिर बेचना होता है। लेकिन उसके पीछे आपको कितना अनुभव है उसपर निर्भर करता है कि आप शेयर मार्केट से कितना पैसा कमाते हैं।

इंट्राडे ट्रेडर सिर्फ दो काम करता है

1 – ट्रेडर शेयर को कम से कम कीमत पर खरीद लेता है, और जब भी शेर की कीमत बढ़ जाती है तब उसे बेच देता है।

2 – ट्रेडर शेयर को ज्यादा प्राइस पर बेच देता है, और जब उसकी प्राइस कम हो जाती है तब उसे खरीद लेता है। इसे शॉर्ट करना बोलते हैं।

लेकिन शुरुआत में ट्रेडिंग करते समय यह काम जितना आसान दिखता है उतना आसान होता नहीं है। यदि आपका एनालिसिस गलत निकलता है और आपका स्टॉप लॉस हिट हो जाता है। फिर तो आपको बड़ा भारी नुकसान सहन करना पड़ता है। इसलिए इंट्राडे करना एक जोखिम भरा काम है।  अनुभव लेने से पश्चात ही बड़े लेवल पर करने की कोशिश करें।

जब आपको शेयर बाजार के प्राइस एक्शन की समझ आ जाती है। तब आपका टेक्निकल एनालिसिस बेहतर होता है। और फिर आप खुद का एनालिसिस करके शेयर मार्केट में मुनाफा कर सकते हैं।

शेयर बाजार का स्वभाव समझना इतना भी आसान नहीं है। कौन सा शेयर कब ऊपर जाएगा और कौन सा शयर कब नीचे जाएगा। यह समझना आसान नहीं होता। और जो लोग खुद की एनालिसिस करके यह समझ जाते हैं। वह शेयर मार्केट में बादशाह बन जाते हैं। लेकिन उससे पहले उन्होंने भी कई बार लॉसेस सहन किए हुए होते हैं। इसलिए पहले आप सीखने पर फोकस कीजिए ना की कि जल्द से जल्द पैसा कमाने पे ।

5 – इंट्राडे ट्रेडिंग vs डिलीवरी ट्रेडिंग

इंट्राडे ट्रेडिंग हिंदी में ( Intraday trading in hindi )

इंट्राडे ट्रेडिंग और डिलीवरी ट्रेडिंग में क्या फर्क होता है यह हम  विस्तार से जानेंगे।

A ) समय – 
1- डिलीवरी ट्रेडिंग में आप जब शेयर खरीदते हैं तो उन्हें आज ,कल,एक हफ्ते, महीने, साल या दशक के बाद बेच सकते हैं।
2 – लेकिन इंट्राडे ट्रेडिंग में आपको आज खरीदा गया शेयर आज ही बेचना पड़ता है, और आज बेचा हुआ शेयर आज ही खरीदना पड़ता है।

B ) लाभांश
1 – डिलीवरी ट्रेडिंग में आप अपने पास जितने शेयर रखे हुए है सिर्फ उतने ही शेयरों का लाभांश प्राप्त कर सकते हैं।
2 – इंट्राडे ट्रेडिंग में आप मार्जिन लेकर आपके पास जो शेयर नहीं है, उन शायरों का भी लाभांश प्राप्त कर सकते हैं।

C) पैसा
1 – डिलीवरी ट्रेडिंग में आपको शेयर खरीदने के लिए पूरी रकम चुकानी पड़ती है।
2 – इंट्राडे ट्रेडिंग में आपके पास जितनी रकम है उससे ज्यादा शेयर खरीद सकते हैं।

D) जोखिम
1- डिलीवरी ट्रेड में जोखिम की संभावना कम होती है।
2- इंट्राडे ट्रेडिंग में जोकिंग की संभावना बहुत ज्यादा होती है।

E ) निगरानी की आवश्यकता
1- शेयर खरीदने के लिए आपको ज्यादा निगरानी की आवश्यकता नहीं होती।
2- इंट्राडे ट्रेडिंग में आपको बहुत ज्यादा निगरानी की आवश्यकता होती है।

F) शॉर्ट- सेल
1 – डिलीवरी में आप शेरों को शॉर्ट नहीं कर सकते।
2 – इंट्राडे ट्रेडिंग में आपको शेयर शॉर्ट करने की या फिर सेल करने की पूरी आजादी होती है। सिर्फ आपको सेबी के नियमों का पालन करना होता है।

6 – शेयर बाजार में इंट्राडे ट्रेडिंग के नियम ( Rules           of intraday trading )

इंट्राडे ट्रेडिंग हिंदी में ( Intraday trading in hindi )

शेयर बाजार में ट्रेडिंग करते समय आपको कुछ नियमों का कठोरता से पालन करना आवश्यक होता है । जो लोग नियमों का पालन नहीं करते उन्हें उसके परिणाम नुकसान के रूप में भुगतने पढ़ते हैं । इसलिए कुछ नियम नीचे दिए गए हैं।

1) स्टॉपलॉस ( Stop loss )

जो कोई ट्रेडिंग करना चाहता है उसके लिए यह बात बहुत जरूरी है कि वह ट्रेड लेने से पहले अपने ट्रेडिंग की रिस्क लेने की कैपेसिटी को फिक्स करें । रिस्क एंड रीवार्ड का मैनेजमेंट करके, वह अपना नुकसान कम से काम करने की कोशिश कर सकता है। इसलिए हमेशा रिस्क छोटी रखके रिवॉर्ड बड़ा लेने की कोशिश करनी चाहिए।

ट्रेडर जब कभी स्टॉपलॉस लगता है तो जैसे ही शेयर की प्राइस स्टॉप लॉस तक पहुंच जाती है तब ब्रोकर ट्रेड के पोजीशन को काट देता है। इस वजह से ट्रेडर का बड़ा नुकसान होने से बच जाता है।  इसलिए ट्रेंडर को अपने अनुभव के अनुसार, और खुद की एनालिसिस के दम पर, रिस्क मैनेज करके स्टॉप लॉस लगाना चाहिए। तो आप बड़े नुकसान से बच सकते हैं।

ज्यादातर नए ट्रेंडर ज्यादा लाभ पाने के लालच में स्टॉप लॉस नहीं लगाते। तो उन्हें बड़े नुकसान को फेस करना पड़ता है। इसलिए सभी नए निवेशकों को स्टॉपलॉस की जानकारी होनी चाहिए और उन्हें स्टॉपलॉस जरूर लगाना चाहिए।

शुरुआत में सभी नए ट्रेडर्स को लालच से बचने की कोशिश करनी चाहिए। और खुद के दिमाग पर कंट्रोल प्रकार शेयर मार्केट को सीखते रहना चाहिए।

2) खुद की क्षमता के अनुसार ट्रेड करें ( Trading Capacity )

सभी नए ट्रेंडर शेयर मार्केट में आने के बाद जल्द से जल्द पैसा कमाना चाहते हैं। उस चक्कर में वह शेयर मार्केट का पूरा नॉलेज नहीं लेते और डायरेक्टली शेयर मार्केट में ट्रेडिंग शुरू कर देते हैं। इस वजह से वे अपनी क्षमता पहचान नहीं पाते।
शुरुआत में हर एक ट्रेंडर को शेयर मार्केट सीखने के बाद छोटी पूंजी के साथ ट्रेडिंग शुरू करें चाहिए। यदि आप बड़ी पूंजी के साथ शुरुआत में ट्रेड करते हैं तो आपका बड़ा नुकसान होने की संभावना होती है।

इसलिए हर नए निवेशकों को सलाह दी जाती है कि वह पहले अपने खुद की क्षमता को जान ले। और छोटी पूंजी के साथ शेयर मार्केट की शुरुआत करें ।

3) ट्रेड दिखाने के पश्चात हि खरीदे या बेचे

नए ट्रेंडर अनुभव न होने के कारण बहुत बार इंतजार करें बिना डायरेक्टली कौन सा भी ट्रेड ले लेते हैं। लेकिन ऐसा करना गलत बात है। आपको ट्रेडिंग करते समय अच्छे ट्रेड का इंतजार करते रहना चाहिए।
जब आपको मार्केट में पोजीशन दिखाई दे, या अच्छा ट्रेड होते दिखाई दे कभी आपको शेयर लेना चाहिए।

इसलिए मार्केट में आने के बाद हर एक नए ट्रेंडर को धीरज से काम लेना चाहिए। अपनी भावनाओं को कंट्रोल में रखकर शेयर को खरीदना या बचना चाहिए।
इसलिए शेयर मार्केट में एक कहावत है ” गलत ट्रेड ना लेना यह भी एक प्रकार का ट्रेड ही होता है”
इसलिए आपको ट्रेडिंग करते समय हर पल ठीक अच्छा ट्रेड नजर आने तक इंतजार करना है । और जब अच्छा ट्रेड दिखे तब आपको अपने खुद के बनाने से दम पर ही ट्रेड को लेना है।

4) रिस्क एंड रीवार्ड रेशों ( Risk and Reward ratio)

आपके पास कितनी अमाउंट है, आप उसे अमाउंट पर कितना रिस्क ले सकते हैं, यानी कि उस अमाउंट से कितना अमाउंट का नुकसान आप सहन कर सकते हैं उस अमाउंट को रिस्क अमाउंट कहा जा सकता है।

उस रिस्क अमाउंट पर आप कितना मुनाफा कमाना चाहते हो उसे रिवॉर्ड और कहते हैं।
हर एक ट्रेंडर को ट्रेडिंग करने से पहले खुद ही रिस्किंग अमाउंट कितनी है उसे निश्चित करना चाहिए और इस पर रिवॉर्ड का रेशियो लेना चाहिए।
रिस्क एंड रीवार्ड मैनेजमेंट करने के बाद आप अच्छे ट्रेंड बन सकते हैं। जब तक आपको रिस्क एंड रिवॉर्ड मैनेजमेंट नहीं आता तब तक आपको उसकी प्रैक्टिस करते रहना चाहिए।

5) लालच बुरी बला है

शेयर मार्केट में आने के बाद सबसे पहले शेयर मार्केट के बेसिक क्लियर करें। धीरे-धीरे शेयर मार्केट समझने के बाद छोटी अमाउंट लेकर ट्रेडिंग करना शुरू करें। तभी आपको शेयर मार्केट में सफलता मिल सकती है।
लेकिन कुछ लोग शेयर मार्केट से जल्द से जल्द पैसा कमाना चाहते हैं। और उसे चक्कर में अपना खुद का अमाउंट भी गवा देते हैं।
इसलिए शुरुआत में इंट्राडे ट्रेडिंग में आने के बाद अधिक रिटर्न कमाने की उम्मीद ना रखें। इंट्राडे ट्रेडिंग करते समय आपको हमेशा अपनी खुद की ट्रेंडिंग स्ट्रैटेजिस के अनुसार टारगेट तथा स्टॉप लॉस सेट करके ही ट्रेडिंग करनी चाहिए।
और जब आप अनुभवी ट्रेडर बन जाओगे तब आपको बड़े लेवल पर इंट्राडे ट्रेडिंग करनी चाहिए। लेकिन शुरुआत में कुछ साल आपको सिर्फ और सिर्फ सीखने पर फोकस करना चाहिए।

6) खुद को अनुशाषित करे

इंट्राडे ट्रेडिंग करते समय खुद को अनुशासित करने की कोशिश करें। जितना हो सके उतना स्वयं पर नियंत्रण लाने की कोशिश करें। इससे यह होगा की भावनाओं में आकर आप लालच के चंगुल से छूट जाओगे।
सफल लोगों को देखकर खुद की एक दिनचर्या बनाएं। उस दिनचर्या में हो सके तो अपने खुद के बनाए गए एनालिसिस के नियमों का पालन करें। यह करने से आपको ज्यादा से ज्यादा इलाज मिलेगा।

7 ) धैर्य का पालन करे

शेयर मार्केट सीखते समय आपको सीखने में ज्यादा फोकस देना चाहिए। और जितना हो सके उतना नॉलेज लेना चाहिए। जब आपको इस मार्केट में थोड़ा सा अनुभव प्राप्त हो, खुद पर भरोसा हो, तो आपको धीरे-धीरे बड़े पूंजी पर शेयर मार्केट में ट्रेडिंग करना चाहिए।
इसके लिए आपको धैर्य का पालन करना  बहुत जरूरी है।
मार्केट में आते ही आपको सिर्फ और सिर्फ सफलता ही नहीं मिलेगी। आपको नुकसान भी हो सकता है। फिर भी आपको मार्केट को एनालिसिस करते रहना चाहिए। हर दिन नॉलेज बढ़ाकर जो गलतियां हो रही है उनको सुधारना चाहिए। फिर एक दिन आप सफल जरूर होंगे।

8) हमेशा अपडेट रहे

शेयर मार्केट एक अनिच्छित प्रोफेशन है। यहां पर कौन सी न्यूज़ पर बाजार बढ़ेगा और घटेगा यह कोई नहीं  बता सकता। इसलिए जितना हो सके उतना ताजा खबरों से अपडेट रहने की कोशिश करें।
अगर पॉसिबल है तो हर दिन अखबार पड़े। न्यूज़ चैनल को फॉलो करें। सोशल मीडिया पर ट्रेंडिंग न्यूज़ पर ध्यान दे। और समाज में जो कुछ हो रहा है, उस पर नजर रखें।

7 – इंट्राडे ट्रेडिंग स्ट्रेटजी ( intraday trading                strategy )

इंट्राडे ट्रेडिंग हिंदी में ( Intraday trading in hindi )

शेयर बाजार में उतरने के बाद आपको कई तरह के गुरु मिलेंगे। जिन लोगों की अलग-अलग स्ट्रेटजी होगी। हम हर किसी के स्ट्रेटजी को फॉलो करके सफल नहीं हो सकते।
हमें सफल लोगों के स्ट्रेटजी को एनालिसिस करके अपनी खुद की स्ट्रैटेजी बनानी चाहिए। शेयर बाजार में कई स्ट्रेटजी होती है लेकिन उसमें से नीचे कुछ ट्रेडिंग स्ट्रेटजी को बताया गया है ।

A) इंडिकेटर के माध्यम की स्ट्रेटजी

B) सपोर्ट और रेजिस्टेंस की स्ट्रेटजी

C) कैंडलेस्टिक पेटर्न स्ट्रेटजी

D) शेयर बाजार के कैंडलेस्टिक चार्ट पेटर्न की स्ट्रेटजी

तो चलिए इन स्ट्रैटेजि को विस्तार से जानते हैं।

A) इंडिकेटर के माध्यम की स्ट्रेटजी

शेयर बाजार में शेयर की चाल की दिशा बताने का प्रयास करने के लिए बाजार में बहुत सारे इंडिकेटर अवेलेबल है। किसके लिए हमें थोड़ा सा ज्यादा अभ्यास करने की जरूरत होता है। बाजार में उपलब्ध होने वाले इंडिकेटर जैसे की-

1 – RSI इंडिकेटर फुल फॉर्म है- (Relative strength index indicator)

2 – SMA सिंपल मूविंग एवरेज – (Simple moving average)

3 – MACD  मूविंग एवरेज कन्वर्जेंस डायवर्जेंस इंडिकेटर (Moving average convergence/divergence          indicator)

4 – बोललिंगर बैंड -(Bollinger bands)

5 – ADX औसत दिशात्मक सूचकांक  -(Average directional moment index )

6 – VWAP indicator

7 – Super trend indicator

शेयर बाजार में कई तरह के इंडिकेटर से उनका इस्तेमाल आप ट्रेड करते समय बाजार में कर सकते हैं। शेयर बाजार में इंडिकेटर हमेशा ही सही कार्य करेंगे यह कोई नहीं बता सकता । क्योंकि बाजार के इंडिकेटर प्राइस एक्शन और वॉल्यूम पर कार्य करते हैं। इसलिए हर ट्रेडर को इंडिकेटर के साथ-साथ खुद का चार्ट एनालिसिस भी करते रहना चाहिए। इंडिकेटर के साथ और खुद के ट्रेड एनालिसिस के बलबूते पर हर ट्रेड शेयर मार्केट से पैसा कमा सकता है।

B) कैंडलेस्टिक पेटर्न स्ट्रेटजी 

शेयर मार्केट में कई तरह के कैंडलेस्टिक पेटर्न होते हैं। उन कैंडलेस्टिक पेटर्न को देखकर हम टेक्निकल एनालिसिस करते हैं। इसलिए उन कैंडलेस्टिक पेटर्न को पहचाना ट्रेडिंग करते समय बहुत जरूरी होता है। कैंडलेस्टिक पेटर्न टेक्निकल एनालिसिस का बेसिक पार्ट है। यहां पर हम शॉर्टकट में कैंडलेस्टिक पेटर्न के बारे में जानेंगे।

1 – डोजी कैंडलेस्टिक पेटर्न ( Doji candlestick pattern ) 

2 – मारूबाजु कैंडलेस्टिक पेटर्न ( Marubozu candlestick pattern ) 

3 – शूटिंग स्टार कैंडलेस्टिक पेटर्न ( Shooting start candlestick pattern ) 

4 – हैमर कैंडलेस्टिक पेटर्न ( Hammer candlestick pattern ) 

5 – हैंगिंग मैन कैंडलेस्टिक पेटर्न ( Hanging Man candlestick pattern ) 

6 – मॉर्निंग स्टार कैंडलेस्टिक पेटर्न ( Morning star candlestick pattern ) 

7 – इवनिंग स्टार कैंडलेस्टिक पेटर्न ( candlestick pattern ) 

8 – डार्क क्लाउड कवर कैंडलेस्टिक पेटर्न ( Dark cloud cover candlestick pattern ) 

9 – पियर्सिंग कैंडलेस्टिक पेटर्न ( Piercing candlestick pattern ) 

10 – बुलिश हरामी कैंडलेस्टिक पेटर्न ( Bullish Harami candlestick pattern ) 

11 – बेयरिश हरामी कैंडलेस्टिक पेटर्न ( Bearish harami candlestick pattern ) 

12 – बुलिश एंगुल्फिंग कैंडलेस्टिक पेटर्न ( Bullish Engulfing candlestick pattern ) 

13 – बेयरिश एंगुल्फिंग कैंडलेस्टिक पेटर्न (Bearish Engulfing candlestick pattern )

ऊपर दिए गए सभी कैंडलेस्टिक पेटर्न टेक्निकल एनालिसिस करते समय इस्तेमाल किए जाते हैं। उनके कुछ ऊपर प्रकार भी होते हैं। हर एक कैंडलेस्टिक पैटर्न हमारे इस ब्लॉक पर विस्तार से सेपरेट आर्टिकल में बताए जाएंगे।

C) कैंडलेस्टिक चार्ट पेटर्न की स्ट्रेटजी

शेयर बाजार में शेयर की चाल हमेशा एक जैसी नहीं होती है। बायर्स और सेलर दोनों शेयर मार्केट की चाल को कंट्रोल करते हैं। समय-समय के खास पैटर्न तैयार होते रहते हैं जो ब्रेक आउट और ब्रेकडाउन होने पर बाजार में तेजी और मंडी के संकेत देते हैं।

1 – सपोर्ट एंड रेजिस्टेंस (Support and Resistance)
2- डबल टॉप चार्ट पैटर्न(Double Top Chart Pattern)
3 – इन्वर्टेड हेड एंड शोल्डर पैटर्न (Inverted Head and Shoulders Pattern)
4- कंसोलिडेशन चार्ट पैटर्न (Consolidation Chart Pattern)
5 – कप एंड हैंडल पैटर्न ( Cup and handle pattern )
6 – डबल बॉटम चार्ट पैटर्न (Double Bottom Chart Pattern)
7 – ट्रेंड लाइन चार्ट पैटर्न (Trend Line Chart Pattern)
8 – ट्रेंगल चार्ट पैटर्न (Triangle Chart Pattern)
9 – फ्लैग चार्ट पैटर्न (Flag Chart Pattern)
10- पताका चार्ट पैटर्न (Pennant Chart Pattern)
11 – हेड एंड शोल्डर पैटर्न (Head and Shoulders Pattern)

हर एक ट्रेंडर में पैटर्न का अध्ययन करके शेयर मार्केट में ट्रेड लेता है। इन पैटर्न को एनालिसिस करना बहुत जरूरी होता है,  क्योंकि तभी हमें शेयर मार्केट की चाल समझने में आसानी होती है। इन्हीं पैटर्न को देखकर हम ट्रेड करते समय हमारा स्टॉपलॉस और रेजिस्टेंस लगते हैं।

D) सपोर्ट और रेजिस्टेंस स्ट्रेटजी

शेयर मार्केट में हर समय आपको कहीं ना कहीं शेर की खरीदी और बिक्री होते हुए दिखती रहीती  है। जहां पर शेयर खरीदा जाता है वहां पर सपोर्ट लेवल तैयार होती है और जहां पर शेर की बिक्री होती है वहां पर रेजिस्टेंस लेवल तैयार होती है।
तो हर एक ट्रेंड को यह दोनों लेवल ध्यान में रखते हुए ट्रेड करते रहना चाहिए। सपोर्ट और रेजिस्टेंस की लेवल को ध्यान में रखते हुए खुद की स्ट्रैटेजी तैयार करनी चाहिए। जिन लोगो को अनुभव है उनको सपोर्ट और रेजिस्टेंस आसानी से नजर आता है। वह अपने स्ट्रेटजी बनकर ही मार्केट में ट्रेड करते हैं।
लेकिन मैं ट्रेडर्स को इस सपोर्ट और रेजिस्टेंस के स्ट्रेटजी  पर ध्यान देना चाहिए।
सपोर्ट कभी रजिस्टेंस का रूप ले लेता है, तथा रेजिस्टेंस कभी-कभी सपोर्ट का भी रुप लेता है। मार्केट में कितनी लिक्विडिटी है इस पर यह निर्भर करता है। इसलिए हर एक ट्रेडर को अपनी सपोर्ट रेजिस्टेंस स्ट्रेटजी तैयार करनी चाहिए।

8 – इंट्राडे ट्रेडिंग टेक्निकल एनालिसिस ( Intraday       trading technical analysis )

 ऊपर दिए गए हुए कैंडलेस्टिक को देखकर हम इंट्राडे में ट्रेडिंग करते समय टेक्निकल एनालिसिस करते हैं। कैंडलेस्टिक मिलकर कैंडलेस्टिक चार्ट तैयार करते हैं, उन्ही चार्ट का  और कैंडलेस्टिक का एनालिसिस करने मतलब है कि इंट्राडे ट्रेडिंग में टेक्निकल एनालिसिस का प्रयोग करना।

इंट्राडे ट्रेडिंग में टेक्निकल एनालिसिस को बड़ा ही महत्व है क्योंकि टेक्निकल एनालिसिस आपको शेयर को सही कीमत पर खरीदने तथा बचने के लिए बहुत मदद करता है।
हम टेक्निकल एनालिसिस में शेर का प्राइस, मुहमेंट, वॉल्यूम आदि प्रकार का विश्लेषण करते हैं।

किसी भी कंपनी के शेर को खरीदी करने से पहले आपको फंडामेंटल एनालिसिस के साथ टेक्निकल एनालिसिस  करनी चाहिए। क्योंकि टेक्निकल एनालिसिस आपको सही कीमत पर एंट्री या एग्जिट देता है।
टेक्निकल एनालिसिस के लिए आप शेयर बाजार के इंडिकेटर, चार्ट पेटर्न्स, रेजिस्टेंस सपोर्ट, कैंडलेस्टिक  आदि का सहारा ले सकते हैं।

9 – इंट्राडे ट्रेडिंग का टाइम

इंट्राडे ट्रेडिंग करते समय हमें टाइम का ध्यान रखते हुए ट्रेड को लेना चाहिए। क्योंकि अगर हमने टाइम पर ट्रेडिंग नहीं की तो हमें बहुत नुकसान उठाना पड़ सकता है। नीचे इंट्राडे ट्रेडिंग का टाइम दिया है।

यह टाइमिंग दिमाग में फिट करके रखिये की इक्विटी सेगमेंट में, एमआईएस ट्रेडिंग के लिए ऑटो स्क्वायर-ऑफ टाइमिंग दोपहर 3.21 बजे और BO के लिए दोपहर 3.23 बजे है।

आप इंट्राडे करते हो फिर भी इसको भी नजरअंदाज मत कीजिए कमोडिटी सेगमेंट में, एमआईएस ट्रेडिंग के लिए ऑटो स्क्वायर-ऑफ टाइमिंग 11.20 बजे और 11.48 बजे है, जबकि बीओ एंड सीओ के लिए क्रमशः 11.20 बजे और 11:50 बजे है।

10 – इंट्राडे ट्रेडिंग में कितना शुल्क होता है

इंट्राडे ट्रेडिंग के लिए लगाए जाने वाला ब्रोकरेज अलग-अलग ब्रोकर पर निर्भर करता है। कुछ ब्रोकर का ब्रोकरेज ज्यादा हो सकता है तो कुछ ब्रोकर का ब्रोकरेज काम हो सकता है।
आपको जो ब्रोकर अच्छी सर्विस दे उन्हें से आप डीमेट अकाउंट खुलवा सकते हैं।

11 – आपका स्वभाव को कौन सा ट्रेडिंग प्रकाश सूट          करता है

शेयर मार्केट में उतरने के बाद हर व्यक्ति को शेयर मार्केट के जैसे क्लियर करना चाहिए। बाद में पेपर ट्रेडिंग करते समय, खुद के स्वभाव को अच्छे से जांच लेना चाहिए। और खुद के स्वभाव को कौन सा ट्रेडिंग टाइट सूट करता है यह खोज लेना चाहिए। और बाद में उसी में ट्रेडिंग करने की कोशिश करनी चाहिए।

इसलिए शेयर मार्केट में आने के बाद हर किसी व्यक्ति को खुद से यह सवाल पूछने की आवश्यकता होती है।

1 – क्या मैं नियमित रूप से शेयर बाजार की निगरानी कर सकता हूं?
2 – क्या मेरा मेरे मन पर काबू है?
3 – मेरा मन सही अवसरों के प्रतीक्षा कर सकता है या नही ?
4 – क्या मैं इस शेयर मार्केट को सीखने के लिए कम से कम एक दो साल दे सकता हूं?
5 – क्या मैं किसी के टिप्स के बिना शेयर मार्केट में ट्रेडिंग कर सकता हूं? 

12 – ट्रेडिंग करना कैसे सीखे हिंदी में (How To Learn                      Trading In Hindi)

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इंट्राडे ट्रेडिंग सीखने से पहले आपको शेयर बाजार क्या है? शेयर बाजार कैसे चलता है? शेयर बाजार में शेर की कीमत ऊपर नीचे कैसे होती है? शेयर बाजार को कौन कंट्रोल करता है? इस तरह के बेसिक क्लियर करनी चाहिए।

 शेयर बाजार में फंडामेंटल बेसिक क्लियर करने के बाद आप धीरे-धीरे टेक्निकल एनालिसिस करना शुरू कर सकते हैं । शेयर बाजार के बेसिक्स जान लेने के बाद आप चार्ट, कैंडलेस्टिक, कैंडलेस्टिक पेटर्न के चार्ट, सपोर्ट, रेजिस्टेंस आदि टेक्निकल एनालिसिस करना शुरू कर सकते हैं।
इंट्राडे ट्रेडिंग सीखने से पहले शेयर बाजार ट्रेडिंग सीखने के लिए नीचे  दिए गए स्टेप को देखें।

1 – बेसिक क्लियर करने की कोशिश

अगर आपने शेयर बाजार सीखने का ठान लिये है। तो शुरुआत में  नीचे दिए गए बेसिक जानकारी को बताने की कोशिश करें।

– शेयर मार्केट में शेयर क्या है?
– शेयर मार्केट में कंपनी कैसे लिस्ट होती है?
– शेयर मार्केट में प्रायमरी मार्केट क्या होता है?
– सेकेंडरी मार्केट क्या होता है?
– शेयर बाजार कैसे चलता है?
– शेयर बाजार को कौन रेगुलेट करता है?
– शेयर बाजार में तेजी और गिरावट आने का क्या कारण होता है?
– शेयर की कीमत कौन डिसाइड करता है?
– सेंसेक्स और निफ़्टी क्या है?
– स्टॉक एक्सचेंज क्या होता है?

शुरुआत में हर एक नए ट्रेंड को बेसिक लेवल से शुरू करते समय ऊपर दिए हुए सवाल आते हैं । और इन्हीं सवालों को ढूंढना, इन सवालों के जवाब क्लियर करना किसी को शेयर मार्केट का बेसिक क्लियर करना बोलते हैं। शुरुआत में
डायरेक्टली टेक्निकल एनालिसिस शुरू कर देते हैं। लेकिन बाजार में फंडामेंटल बेसिक क्लियर न होने के कारण वह टेक्निकल एनालिसिस भी सही से इस्तेमाल नहीं कर पाते और नुकसान कर बैठते हैं। और अंत में यह लोग दूसरों को सलाह देते ही की शेयर मार्केट एक जुआ है। इसलिए आप उनकी लाइन में शामिल होने से पहले खुद बेसिक से शुरू करें।

2 – यूट्यूब चैनल देखें

लॉकडाउन के बाद बहुत बड़े शेयर मार्केट के गुरु यूट्यूब चैनल पर आ चुके हैं। बेसिक से सीखने के लिए बहुत सारे यूट्यूब चैनल पर नॉलेज अवेलेबल है।
जब तक आपका बेसिक क्लियर नहीं होता तब तक आप यूट्यूब चैनल से फ्री में नॉलेज ले सकते हैं।
कई यूट्यूब चैनल पर बेसिक से लेकर एडवांस तक फ्री में नॉलेज प्रोवाइड किया गया है। आपको जो यूट्यूबर आपकी भाषा में अच्छे से नॉलेज दे पा रहा है उसे फॉलो करें। यूट्यूब बेसिक क्लियर करने की कोशिश करें। लेकिन बेसिक क्लियर करते समय आपको सिर्फ और सिर्फ सीखने के ऊपर ध्यान देना है।
आजकल मार्केट में कई यूट्यूबर से जो गलत जानकारी पहुंचाने का काम भी करते हैं। वह खुद लॉस में होने के बाद भी बच्चों को पटाने का काम करते हैं। उन यूट्यूबर आपको बचकर रहना है।
किसी भी यूट्यूबर को आंख बंद करके फॉलो ना करें। उसमें बताई गई टिप्स को फॉलो करने से पहले, व्होस युटुब के ट्रेडिंग के इतिहास के बारे में जानकारी लेने की कोशिश करें।

3 – डीप में नॉलेज लेने के लिए बुक्स पड़े

कुछ लोगों को बुक्स पढ़ना पसंद होता है, तो वह बेसिक शेयर मार्केट की किताबें पढ़ सकते हैं। उनका एक और फायदा होता है कि अगर उन्हें डीप में नॉलेज लेने की जरूरत पड़े तो वह ज्यादा किताबें पढ़ सकते हैं। लेकिन जिन लोगों को किताबें पढ़ना पसंद नहीं उन्हें भी पढ़ने की कोशिश जरूर करनी चाहिए। क्योंकि किताबों में जो नॉलेज दिया हुआ होता है वह सफल व्यक्तियों के जीवन का सार होता है, जो लेक्चर के माध्यम से बताना मुश्किल होता है।

4 – जरूरत हो तो सीखने के लिए कोर्स ज्वाइन करें

यूट्यूब से बेसिक नॉलेज लेने के बाद भी अगर किसी को अपना बेसिक क्लियर करने के लिए जरूरत पड़े तो वह कोर्स ज्वाइन करें। लेकिन ध्यान रखें कि कोर्स ज्वाइन करने से पहले, उसे टीचर की ट्रेडिंग हिस्ट्री निकलने ना भूले। आपको अगर ऑनलाइन कोर्स ज्वाइन करना है, तो ऑनलाइन भी कर सकते हैं या फिर ऑफलाइन करना चाहते हो, तो आपके आसपास अगर कोई ट्रेडिंग इंस्टीट्यूट हो, तो उसकी  जानकारी लेकर आप कोर्स जॉइंट कर सकते हो।

5 – ब्लॉग पढ़कर

जिन लोगों को सिलेक्टेड कांसेप्ट को सीखना है, या फिर बेसिक क्लियर करते समय रिवीजन करनी होती है, वह लोग शॉर्टकट में ऑनलाइन पढ़ सकते हैं। ब्लॉक पढ़ने का फायदा यह है कि आप कहां पर भी इंटरनेट के माध्यम से ऑनलाइन माध्यम से बैठे-बैठे ब्लॉक पढ़ कर अपना नॉलेज बढ़ा सकते हैं।

13 – पेपर ट्रेडिंग जरूर करें

आप बेसिक क्लियर करने के बाद, खुद का नॉलेज आजमाने के लिए पेपर ट्रेडिंग जरूर करें। पेपर ट्रेडिंग करने से खुद को कॉन्फिडेंस आता है। हमारी स्ट्रेटजी काम करती है या नहीं इसके बारे में हमें अंदाजा आता है।

पेपर ट्रेडिंग एक प्रकार का ट्रेडिंग होता है, जहां पर आप अपने डीमेट अकाउंट  में ट्रेडिंग करने के पहले एक वर्चुअल अप में ट्रेडिंग करते है। पेपर ट्रेडिंग करते समय आप खुद के एनालिसिस के अनुसार जब कभी ट्रेड दिखे तब उसे स्टॉप लॉस और टारगेट लगाकर खरीद सकते हो। आपने इतने दिनों से सीखा हुआ नॉलेज पेपर ट्रेडिंग के द्वारा आप अपनी पूंजी लगाए बगैर इस्तेमाल कर सकते हैं।

पेपर ट्रेडिंग करते समय अपने 10 ट्रेड लिए उसमें से लगभग आठ कामयाब हो गए तो आप मान सकते हैं कि आप ट्रेडिंग करने के लिए तैयार है। तब आप खुद को शेयर बाजार के मार्केट में ट्रेडिंग करने के लिए उतार सकते हैं। लेकिन मार्केट में उतरने के बाद भी आपको शुरुआत में कम पूंजी के साथ ट्रेडिंग करनी चाहिए।

लेकिन यह भी याद रखिए की 10 ट्रेड में से आपको चार-पांच पेड़ों में नुकसान होता है, तो आपको और अध्ययन करने की और खुद के मन को कंट्रोल करने की आवश्यकता है।

14 – इंट्राडे ट्रेडिंग एडवांटेजेस एंड डिसएडवांटेजेस

इंट्राडे ट्रेडिंग सीखने के बाद यह भी याद रखिए कि यह एक जोखिम भरा काम है । पूरा नॉलेज लेने के बाद भी आपको थोड़ा बहुत नुकसान हो सकता है। उसे समय आपके मन को कंट्रोल में रखकर जो गलतियां हुई है उन गलतियों का एनालिसिस करके फिर से मार्केट में उतरना चाहिए।

A – इंट्राडे ट्रेडिंग एडवांटेज

1 – फास्ट प्रॉफिट

अगर आपका बेसिक क्लियर है तो, और आपने खुद के अनुभव पर ट्रेडिंग की है तो इंट्राडे ट्रेडिंग फास्ट प्रॉफिट कमा सकते। यह एक तुरंत मुनाफा कमाने का जरिया है। यहां पर हम 1 मिनट से लेकर 1 घंटे तक की टाइम फ्रेम का प्रयोग कर सकते हैं। यहां पर प्राइस एक्शन का जितना बेहतर इस्तेमाल हो सकता है उतनी ही जल्द प्रॉफिट बन सकता है।

2 – ट्रेडिंग के लिए मार्जिन 

इंट्राडे करने वाले ट्रेंड को ब्रोकर कंपनियां ब्रोकरेज तो लेती है, लेकिन मार्जिन भी देती है। जिससे ट्रेडर कम अमाउंट में ज्यादा ट्रेड ले सकता है। मार्केट में ब्रोकर कंपनी बिग परसेंट से 80% तक मार्जिन देती है। इस मार्जिन का लाभ लेकर ट्रेडर अधिक से अधिक मुनाफा बन सकता है।

3 – ओवरनाइट का खतरा

जिसमें ट्रेंड को ट्रेड लेने के बाद उसी दिन उसे पेड़ को पूरा करना होता है। यानी कि जिस दिन शेयर खरीदा है उसी दिन शेर को बेचना पड़ता है, या फिर जिस दिन शेर भेजा है उसी दिन शेर को खरीदना पड़ता है। इसलिए ट्रेंडर को ट्रेड पूरा होने के बाद कोई खतरा नहीं होता।

4 – फंडामेंटल एनालिसिस की आवश्यकता कम होती है

शेयर बाजार में इंट्राडे ट्रेड करने के लिए कंपनी का फंडामेंटल एनालिसिस करने की आवश्यकता कम होती है। क्योंकि इंट्राडे करते समय आपको टेक्निकल एनालिसिस की ज्यादा जरूरत होती है। इसका यह मतलब नहीं की आपको फंडामेंटल एनालिसिस करना नहीं चाहिए। अगर आपको लॉन्ग टर्म के लिए इन्वेस्टमेंट करनी है तो आपको फंडामेंटल एनालिसिस भी जानना चाहिए।

B ) इंट्राडे ट्रेडिंग डिसएडवांटेजेस

1 – ज्यादा तनाव 

इंट्राडे ट्रेडिंग करने वाले लोग ट्रेड लेने के बाद जब तक वह ट्रेड पूरा नहीं होता तब तक हाई स्ट्रेस में रहते हैं। इस समय आपको मन को काबू करने की ज्यादा जरूरत होती है।

2 – ज्यादा नुकसान

इंट्राडे ट्रेडिंग में हमेशा मुनाफा ही होगा ऐसा नहीं होता। आपके एनालिसिस के अनुसार अगर मार्केट में बिहेव नहीं किया तो आपको नुकसान का सामना करना पड़ सकता है। और ऐसे में यदि आपने स्टॉप लॉस लगाया है तो आपको नुकसान कम हो सकता है। इसीलिए हमेशा रिस्क एंड रीवार्ड रेशों का पालन करते हुए ट्रेड ले।

3 – समय की सीमा

आपको ट्रेड लेने के बाद उस पर निगरानी रखने की जरूरत होती है। क्योंकि आपने जिस दिन ट्रेड लिया है उसी दिन उसे कंप्लीट करना होता है। अगर आपने उस टाइम लिमिट में ट्रेड पूरा नहीं किया तो आपको नुकसान हो सकता है। इंट्राडे ट्रेडिंग में टाइम लिमिट एक ही दिन का होता है।

4 – ज्यादा ब्रोकरेज चार्ज

शेयर बाजार में निवेश की तुलना में ट्रेडिंग करते समय ब्रोकरेज शुरू कर ज्यादा देना पड़ता है । क्योंकि दिल हम जब डिलीवरी में शेयर खरीदने हैं या बेचते हैं तो वहां पर लगभग जीरो ब्रोकरेज होता है। लेकिन इंट्राडे ट्रेडिंग में 20 प्रति ट्रेड का छूट देना पड़ता है।

FAQ ( Intraday Trading in hindi )

1 – इंट्राडे ट्रेडिंग कैसे काम करती है?
इंट्राडे ट्रेडिंग में जिस दिन ट्रेड खरीदने है, उसी दिन ट्रेड को बेचना होता है। या फिर जिस  दिन आप ट्रेड को बेचते हो उसी दिन आपको खरीदना होता है। इस तरह से इंट्राडे ट्रेडिंग काम करते हैं।

2 – इंट्राडे ट्रेडिंग के लिए कौन सा दिन सबसे अच्छा है?
कौन सा दिन सबसे अच्छा होता है, यह सटीक तरह से कोई नहीं बता सकता।

3 – इंट्राडे का पैसा कब आता है?
शेयर मार्केट में T+1 सिस्टम है। इसका मतलब जब मेरे साथ शेयर खरीदना है उसके अगले दिन डीमैट अकाउंट में जमा होता है। पैसा आने के लिए ट्रेडिंग का एक दिन प्लस और एक दिन का समय लगता है।

4 – क्या होगा अगर इंट्राडे शेयर नहीं बेचे जाते हैं?
इंट्राडे ट्रेडिंग में ट्रेड करते समय जिस दिन आपने ट्रेड लिया है उस दिन अगर पूरा नहीं किया तो आपका पेपर आपको बताइए बिना ट्रेड पूरा करता है। उस समय आपको नुकसान भी हो सकता है।

5 – क्या मैं इंट्राडे ट्रेडिंग में रोजाना 2000 कमा सकता हूं।
इंट्राडे ट्रेडिंग में अगर आपका एनालिसिस तगड़ा है तो आप 2000 से 3000 रुपए से भी ज्यादा का कमा सकते है।

6 – इंट्राडे ट्रेडिंग हराम क्यों है?
जिन लोगों को ट्रेडिंग की कोई नॉलेज नहीं है उन लोगों ने यह नेगेटिव लोगों ने फैलाई है।

7 – क्या मैं ₹100 से ट्रेडिंग शुरू कर सकता हूं?
जी हां बिल्कुल आप ₹100 से ट्रेडिंग से कमाई कर सकते हैं।

8 – इंट्राडे में शॉर्ट सेलिंग क्या है?
शॉर्ट सेलिंग उसे कहते हैं जब कोई ट्रेडर शेयर को ज्यादा प्राइज पर बेचता है, और उसका प्राइस कम होने पर फिर से खरीदता है ।

9 – क्या हम सुबह 9: 00 बजे इंट्राडे ऑर्डर दे सकते हैं?
भारतीय शेयर मार्केट में इंट्राडे ट्रेडिंग का समय सुबह 9: 15 से शुरू होता है और दोपहर 3: 30 तक चलता है । इस समय आप शेयर को खरीद या देख सकते हैं।

10 – इंट्राडे ट्रेडिंग में कितना नुकसान होता है?
लगभग 80 से 85% हेलो इंट्राडे ट्रेडिंग में पैसा खो देते हैं ।

Conclusion ( Intraday trading in hindi )

दोस्तों आज आर्टिकल में मैंने इंट्राडे ट्रेडिंग के बारे में बेसिक से लेकर एडवांस तक पूरी जानकारी विस्तार से बनी थी कोशिश की है। इंट्राडे ट्रेडिंग क्या होती है? उसे ट्रेडिंग को कैसे किया जाता है? मार्जिन क्या होता है? आदि विषयों पर हमने विस्तार से अध्ययन किया है। यदि आपको ट्रेडिंग सीखते समय किसी भी प्रकार का प्रश्न हो तो हमें कमेंट बॉक्स में पूछ सकते हैं।

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