दोस्तों शेयर बाजार में किसी भी कंपनी में निवेश से पहले हर कोई कंपनी का नेट प्रॉफिट देखना चाहता है। लेकिन जो लोग नए हैं, जिन्होंने अभी अभी सिखाना शुरू किया है। उनके मन में सवाल आता है कि Net Profit kya hota hai, और उसे कैसे कैलकुलेट किया जाता है।
हम इस लेख में Net Profit के बारे में विस्तार से जानेंगे। किसी के साथ नेट प्रॉफिट के संबंधित सभी संकल्पनाओं को विस्तार से समझने की कोशिश करेंगे।
मैं आपसे वादा करता हूं कि अगर आपने यह अच्छे से पढ़ लिया तो आपको फिर से “Net profit meaning in hindi” यह सर्च करने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
Net Profit kya hota hai हिंदी में
हिंदी भाषा में हम नेट प्रॉफिट को “शुद्ध लाभ” कहते हैं। कंपनी के टोटल इनकम से टोटल एक्सपेंस घटाने के बाद बचने वाले प्रॉफिट को नेट प्रॉफिट कहां जाता है।
आसान भाषा में हम यह कह सकते हैं कि, जब किसी भी कंपनी के कुल लाभ में से कुल खर्चा घटाया जाता है, तब कंपनी को बचने वाली राशि को नेट प्रॉफिट कहा जाता है।
नेट प्रॉफिट को एक्चुअल प्रॉफिट, प्रॉफिट आफ्टर टैक्स, क्लियर प्रॉफिट और हमारी हिंदी भाषा में शुद्ध लाभ भी कहा जाता है।
Net Profit Formula और उसकी संकल्पना
दोस्तों ऊपर दिए हुए डेफिनेशन से अगर आपको नेट प्रॉफिट क्या है, यह समझ में नहीं आया तो फार्मूला के मदद से इसे जानने की कोशिश करते हैं।
नेट प्रॉफिट = टोटल इनकम – टोटल एक्सपेंस
1) नेट प्रॉफिट में टोटल इनकम क्या है
दोस्तों नेट प्रॉफिट कैलकुलेट करते समय हमें कंपनी का टोटल इनकम निकालना जरूरी होता है।
टोटल इनकम परिभाषा – आसान भाषा में हम यह कह सकते हैं कि जब कंपनी के खर्च घटाने से पहले सभी प्रकार का इनकम एक साथ जोड़ा जाता है, तब उसे टोटल इनकम कहा जाता है।
यह टोटल इनकम निकालने के लिए भी एक छोटा सा फार्मूला है।
टोटल इनकम = रिवेन्यू/ सेल्स + other इनकम
A) टोटल इनकम में रिवेन्यू क्या होता है
जब कंपनी कोई प्रोडक्ट तैयार करती है, या फिर कंपनी किसी भी तरह की सर्विस देती है, तब कंपनी की प्रोडक्ट की जब सेल्स होती है, या कंपनी की सर्विसेस बेची जाती है। तब कंपनी मिलने वाले टोटल राशि को रेवेन्यू कहा जाता है। इस रेवेन्यू को कंपनी का प्राइमरी इनकम भी कहा जाता है।
B) टोटल इनकम में other इनकम क्या होती है
रेवेन्यू के अलावा जब कंपनी किसी भी तरह की इन्वेस्टमेंट करती है, या फिर कंपनी कोई संपत्ति खरीदती है। तब वहां के कंपनी को जो राशि मिलती है, तो फिर उसे other इनकम में शामिल किया जाता है।
के किसी को लोन देती है, उसे पर मिलने वाला ब्याज और कंपनी के पास होने वाले ऐसेट पर मिलने वाला ब्याज भी other इनकम में में शामिल किया जाता है।
जब कंपनी दूसरी जगह आउटलेट खोलती है तब फ्रेंचाइजी देते समय होने वाली इनकम को भी किसी इनकम में शामिल किया जाता है।
2) नेट प्रॉफिट में टोटल एक्सपेंस क्या है
दोस्तों नेट प्रॉफिट निकलते समय हमें कंपनी का टोटल एक्सपेंस भी मालूम होना चाहिए।
टोटल एक्सपेंस परिभाषा – जब कंपनी किसी भी प्रकार की सर्विस देती है, या फिर किसी भी प्रकार का प्रोडक्ट बेचती है, तब वह सर्विस और प्रोडक्ट देते समय सभी टैक्स को पड़कर कंपनी को जितना भी खर्च आता है, तब उसे टोटल एक्सचेंज कहा जाता है।
टोटल एक्सपेंस निकालने के लिए भी एक छोटा सा फार्मूला है।
टोटल एक्सपेंस = ऑपरेटिंग एक्सपेंस + सर्विस/ प्रोडक्ट की कॉस्ट + घिसावट मूल्य + ब्याज + सभी प्रकार के टैक्स + बाकी बच्चे पूछे एक्सपेंस
इस फॉर्मूला की सभी संकल्पनाओं को विस्तार से जानते हैं
A) ऑपरेटिंग एक्सपेंस क्या है
किसी भी कंपनी को चलाने के लिए जो बेसिक खर्चा आता है। उसे खर्च को ऑपरेटिंग एक्सपेंस कहा जाता है।
ऑपरेटिंग एक्सपेंस में कंपनी का किराया, कंपनी के सभी कर्मचारियों को वेतन, कंपनी के सर्विस और प्रोडक्ट को चलाने के लिए एडवरटाइजमेंट, अगर कंपनी में कोई हानि होती है तो कंपनी का इंश्योरेंस, इस तरह के बेसिक खर्चों को ऑपरेटिंग एक्सपेंस में शामिल किया जाता है।
कोई भी कंपनी चलाने के लिए यह खर्चा अनिवार्य होता है।
B) सर्विस/ प्रोडक्ट की कॉस्ट क्या है
जब कोई कंपनी प्रोडक्ट तैयार करते हैं, या फिर किसी भी प्रकार की सर्विस देती है, तब वह सर्विस देने के लिए और प्रोडक्ट तैयार करने के लिए जो रॉ पदार्थ के लिए बेसिक खर्चा आता है, उसे सर्विस/ प्रोडक्ट की कॉस्ट कहा जाता है। यह खर्च किए बिना हम किसी भी प्रकार का प्रोडक्शन नहीं कर सकते हैं।
C) घिसावट मूल्य क्या है
कई लोगों को घिसावट मूल्य यह समझ में नहीं आया होगा। इंग्लिश में इसे depreciation cost कहते है।
कोई भी कंपनी चलाने के लिए मशीन और उपकरणों की जरूरत होती है। जब कंपनी यह उपकरण और मशीन खरीदी है। तब उसे चलाई रखने के लिए मेंटेनेंस खर्च आता है। उसी के साथ यह मशीन कुछ सालों बाद पुरानी हो जाती है, और उनकी कीमत कम हो जाती है।
इन दोनो किमतो को (मेंटेनेंस और कम होने वाली कीमत को) घिसावट मूल्य कहा जाता है।
D) सभी प्रकार के टैक्स
टैक्स कंपनी प्रोडक्ट तैयार करती है, या सर्विस देती है तब कंपनी को हर पड़ाव पर कोई ना कोई टैक्स देना पड़ता है। और रॉ मैटेरियल खरीदते समय कंपनी को टैक्स देना पड़ता है और बेचते समय भी कंपनी को टैक्स देना पड़ता है।
इन सभी टैक्स को एकत्रित टोटल एक्सपेंस में दिखाया जाता है।
E) टोटल एक्सपेंस में ब्याज क्या है
में शुरुआत में कंपनी शुरू होते समय लोन लेती है, या फिर कंपनी को ग्रोथ करने के लिए और और फंड की जरूरत होती है तब लोन लेती है, उसे लोन को चुकाने के लिए कंपनी को ब्याज देना पड़ता है। उसे भी टोटल एक्सपेंस में शामिल किया जाता है।
F) टोटल एक्सपेंस में other एक्सपेंस
उपर दिए गए सभी प्रकार के एक्सपेंस को छोड़कर अगर कंपनी को कोई और खर्चा करना पड़ता है तो उसे other एक्सपेंस कहा जाता है। Other एक्सपेंस में ज्यादा तर कंपनी के इमरजेंसी खर्च होते हैं।
PAT kya hota hai
दोस्तो नेट प्रॉफिट को ही PAT कहते है। PAT का फुल फॉर्मूला प्रॉफिट आफ्टर टैक्स होता है।
जब कंपनी सभी प्रकार के खर्चों को घटा देती है तब बचने वाली राशि को PAT कहा जाता है।
PBT kya hota hai
दोस्तों PBT का फुल फॉर्म प्रॉफिट बिफोर टैक्स है।
यह कंपनी का एक प्रकार का प्रॉपर्टी होता है। लेकिन यह प्रॉफिट कैलकुलेट करते समय, कंपनी किसी भी प्रकार के एक्सपेंस को घटती नहीं है।
आसान भाषा में हम कह सकते हैं कि प्रॉफिट बिफोर टैक्स यानी की सभी प्रकार के खर्चों को जोड़कर मिला हुआ प्रॉफिट होता है।
Net Profit को कैसे निकाला जाता है
दोस्तों ऊपर दिए गए फार्मूले के मदद से हम नेट प्रॉफिट को आसानी से निकाल सकते हैं। चलिए एक उदाहरण के साथ जानते हैं कि मैं प्रॉफिट को कैसे निकाला जाता है।
Net Profit Example
मान लीजिए इसमें एबीसी लिमिटेड एक कंपनी है। उस कंपनी के एक साल का फाइनेंशियल डाटा किस प्रकार है।
एबीसी लिमिटेड कंपनी गाड़ियां बनाने की काम करती है। एक गाड़ी बनाने के लिए कंपनी को एक लाख रुपए कॉस्ट आती है। वह एक लाख की गाड़ी कंपनी 1.5 लाख रुपए में बेचती है।
गाड़ी बनाने की कॉस्ट – 100000
कंपनी को बेचने की कीमत – 150000
ग्रॉस प्रॉफिट = 1500000-100000
ग्रॉस प्रॉफिट = 50000
यहां पर कंपनी को जो प्रॉफिट मिला है उसे ग्रॉस प्रॉफिट कहा जाता है। ग्रॉस प्रॉफिट और नेट प्रॉफिट दोनों अलग-अलग होते हैं।
ग्रॉस प्रॉफिट में किसी भी प्रकार के खर्चों को शामिल नहीं किया जाता।
अब नेट प्रॉफिट निकलते समय हमें सभी प्रकार के खर्चों को कैलकुलेट करना होगा।
कंपनी का फाइनेंशियल रिपोर्ट के अनुसार-
रिवेन्यू – 1.5 लाख
Other इनकम – 10 हजार
प्रोडक्ट/ सर्विस कॉस्ट – 1 लाख
ऑपरेटिंग एक्सपेंस – 1 हजार
घिसावट मूल्य – 1 हजार
ब्याज – 1 हजार
सभी प्रकार के टैक्स – 1 हजार
Other एक्सपेंस – 1 हजार
टोटल इनकम = रेवेन्यू + other इनकम
टोटल इनकम = 1.5 लाख + 10 हजार
टोटल इनकम = 160000
टोटल एक्सपेंस = ऑपरेटिंग एक्सपेंस + सर्विस/ प्रोडक्ट की कॉस्ट + घिसावट मूल्य + ब्याज + सभी प्रकार के टैक्स + बाकी बच्चे पूछे एक्सपेंस
टोटल एक्सपेंस = 1000+100000+100
00+1000+1000+1000
टोटल एक्सपेंस = 105000
ऊपर दिए गए टोटल इनकम और टोटल एक्सपेंस के मदद से हम नेट प्रॉफिट निकाल सकते हैं।
नेट प्रॉफिट = टोटल इनकम – टोटल एक्सपेंस
नेट प्रॉफिट = 160000 – 105000
नेट प्रॉफिट = 55000
किस प्रकार हमारे ओबीसी लिमिटेड कंपनी को 55000 का नेट प्रॉफिट हुआ है।
नेट प्रॉफिट का महत्व
1) दोस्तों हमें कंपनी की फंडामेंटल एनालिसिस करते समय कई प्रकार के रेशों देखने पड़ते हैं। उसी के साथ हमें कंपनी के नेट प्रॉफिट भी देखना चाहिए। और यह नेट प्रॉफिट कम या ज्यादा होने के कारण भी देखना चाहिए।
2) जब किसी कंपनी का नेट प्रॉफिट ज्यादा होता है तब ज्यादा होने के क्या-क्या कारण है यह जानने की कोशिश करनी चाहिए।
3) अगर किसी कंपनी का नेट प्रॉफिट काम है तो उसे कंपनी को खराब ना मानकर उसके पीछे टेंपरेरी क्या कारण है यह जानना चाहिए।
4) कंपनी का नेट प्रॉफिट हर साल बदलता रहता है। इसलिए निवेश करने से पहले आप किस साल का रिपोर्ट देख रहे हैं इस पर भी ध्यान दें।
5) निवेश करते समय वर्तमान नेट प्रॉफिट देखने की कोशिश करनी चाहिए। नेट प्रॉफिट के साथ आपको कंपनी के अर्निंग पर शेयर भी देखना चाहिए।
नेट प्रॉफिट कहा देखे
दोस्तों सभी कंपनियां फाइनेंशियल रिपोर्ट में अपना नेट प्रॉफिट दिखती है। फाइनेंशियल रिपोर्ट में नेट प्रॉफिट हमें बॉटम लाइन पर दिखाई जाता है।
लेकिन आपको फाइनेंशियल रिपोर्ट समझ में नहीं आती है तो आपके लिए कुछ वेबसाइट शॉर्ट में एनालिसिस देने की कोशिश करते हैं। वह वेबसाइट में जाकर आप रेडीमेड फाइनेंशियल रिपोर्ट शॉर्ट में देख सकते हैं।
NET Profit ka फ्रॉड
दोस्तों कंपनी के नेट प्रॉफिट को कभी-कभी मैनिपुलेट भी किया जा सकता है। कंपनी निवेशकों को आकर्षित करने के लिए, नेट प्रॉफिट को बढ़ा चढ़ा कर दिखाने की कोशिश करती है।
नेट प्रॉफिट बढ़ाने के लिए कंपनियां टोटल ज्यादा दिखती है। इसीलिए किसी भी कंपनी में निवेश करते समय नेट प्रॉफिट ज्यादा होने के क्या कारण है, और वह क्यों बड़ा है यह जानने की कोशिश करनी चाहिए। इसीलिए नेट प्रॉफिट के साथ हमेशा बाकी के ratios भी देखना चाहिए।
Net Profit के साथ क्या देखे
1) दोस्तों नेट प्रॉफिट देखते समय आपको टोटल इनकम का टोटल एक्सपेंस कितना है यह भी देखना है।
2) टोटल इनकम ज्यादा है तो उसके पीछे के कारण जानने चाहिए।
3) अगर टोटल एक्सपेंस काम है, तो उसके पीछे भी क्या कारण है, इस उसे भी जाने की कोशिश करनी चाहिए।
4) अगर किसी कंपनी का नेट प्रॉफिट अचानक से कम हुआ है तो उसके पीछे क्या कारण है यह जानने के बाद पिछले कुछ सालों का नेट प्रॉफिट को भी देखें।
5) अगर कंपनी ने पीछे 5 सालों में अच्छे रिटर्न दिया है, और कंपनी एवरेज नेट प्रॉफिट अच्छा है, तो आप बाकी के ratios का एनालिसिस करके उस कंपनी में इन्वेस्ट कर सकते हैं।
FAQ
1) नेट प्रॉफिट का मतलब क्या होता है?
जब कंपनी की टोटल इनकम से टोटल एक्सपेंस घटाया जाता है, कब बचने वाले राशि को नेट प्रॉफिट कहा जाता है।
2) नेट प्रॉफिट और ग्रॉस प्रॉफिट इन हिंदी में क्या अंतर है?
नेट प्रॉफिट में सभी खर्चों को घटाया जाता है, लेकिन ग्रॉस प्रॉफिट में सिर्फ प्रोडक्ट और सर्विस के मूल कॉस्ट को घटाया जाता है।
3) प्रॉफिट का मतलब क्या है होता है?
जब कोई कंपनी किसी प्रोडक्ट और सर्विस को बेचती है, तब वह प्रोडक्ट और सर्विस देने के लिए जितना खर्चा होता है, वह खर्चा प्रोडक्ट के सेल्स होने के बाद के घटाया जाता है। तब बचने वाले कीमत को प्रॉफिट कहा जाता है।
4) शुद्ध लाभ की गणना कैसे करें?
कुल इनकम से कुल खर्चों को घटाने के बाद जो राशि बचती है, उसे शुद्ध लाभ कहा जाता है।
5) नेट प्रॉफिट का फार्मूला क्या है?
नेट प्रॉफिट = टोटल इनकम – टोटल एक्सपेंस
6) लाभ की सबसे अच्छी परिभाषा कौन सी है?
जब कोई कंपनी किसी भी तरह का प्रॉफिट करती है, तब कंपनी के सभी प्रकार के कूल प्रॉफिट में से सभी कूल खर्चों को घटाया जाता है, तब बचने वाले प्रॉफिट को लाभ कहा जाता है।
7) नेट प्रॉफिट कब देखना चाहिए?
किसी भी कंपनी में निवेश करते समय और कंपनी का फंडामेंटल एनालिसिस करते समय आपको नेट प्रॉफिट देखना चाहिए।
Conclusion
दोस्तों इस लेख में हमने Net Profit kya hota hai यह विस्तार से जानने की कोशिश की है। Net Profit के फॉर्मूले की सभी संकल्पनाओं को समझकर, उसे किस तरह कैलकुलेट किया जाता है, यह उदाहरण के साथ समझने की कोशिश की है।
उपर दिया गया “Net Profit meaning in Hindi” यह पूरा लेख पढ़ने के बाद भी अगर आपके मन में कोई सवाल आता है तो आप हमें नीचे पूछ सकते हैं। हम पूरी कोशिश करेंगे कि आपका सवाल का जवाब दे सके।
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Contents
- 1 Net Profit kya hota hai हिंदी में
- 2 Net Profit Formula और उसकी संकल्पना
- 3 PAT kya hota hai
- 4 PBT kya hota hai
- 5 Net Profit को कैसे निकाला जाता है
- 6 नेट प्रॉफिट का महत्व
- 7 नेट प्रॉफिट कहा देखे
- 8 NET Profit ka फ्रॉड
- 9 Net Profit के साथ क्या देखे
- 10 FAQ
- 11 Conclusion