दोस्तों इस लेख में हम pe ratio kya hota hai यह विस्तार से जानने की कोशिश करेंगे। कंपनी में निवेश करने से पहले हर एक नया ट्रेडर उस कंपनी का PE ratio जानने की कोशिश करता है। लेकिन हर तरह के इन्वेस्टर्स के लिए PE ratio महत्वपूर्ण होता है।
इस देश में हम PE ratio को कैसे कैलकुलेट किया जाता है, उसका उपयोग क्या है, PE रेशों में EPS और मार्केट कैप क्या है। इन सभी concepts को इस लेख में विस्तार से जानने की कोशिश करेंगे। अगर आपने यह लेख पूरी अच्छे से पढ़ लिया तो आपको फिर से PE ratio in hindi सर्च करने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
PE ratio kya hota hai (पी ई अनुपात)
PE ratio में P का मतलब price होता है और E का मतलब Earings होता है। इसलिए PE रेशों का फुल फॉर्म Price to Earings ratio होता है।
व्याख्या – कंपनी का शेयर खरीदते वक्त 1 रुपया कमाने के लिए कितना प्राइस देना पड़ेगा, यानी की शेयर के अर्निंग के तुलना में कितने गुना भुगतान करना पड़ेगा, यह बताने वाले रेशियो को PE ratio कहा जाता है।
आसान भाषा में PE ratio हमें यह बताता है कि दो एक ही इंडस्ट्रीज की कंपनियों में से किस में इन्वेस्टमेंट करना सस्ता है।
1) PE ratio formula
PE रेशों का फार्मूला आसान है। इस फार्मूले की मदद से हम लगभग सभी कंपनियों PE रेशों निकाल सकते हैं। आपको इस फार्मूले की कॉन्सेप्ट समझ में आनी चाहिए। क्योंकि सिर्फ फार्मूला समझना काफी नहीं है। आपको इसका इस्तेमाल भी करना आना चाहिए।
PE ratio = करंट 1 शेयर की कीमत / प्रति शेयर की आय
PE ratio = Current market price of one share/ Earing per Share (EPS)
PE ratio kya hota hai यह जानने के लिए ऊपर दिए गया फार्मूला बहुत जरूरी है। लेकिन फार्मूला समझने के लिए आपको उसे फार्मूले में दी गई दोनो कॉन्सेप्ट मालूम होनी चाहिए।
2) PE ratio में Current market price क्या है
करंट मार्केट प्राइस यानी की कंपनी के शेयर की वह कीमत जो बाजार में ट्रेड कर रही है। आपको जब कभी PE रेशों निकालना है तब मार्केट में उस कंपनी का शेयर जिस से प्राइस पर ट्रेड कर रहा होता है उस प्राइस को करंट मार्केट प्राइस कहा जाता है। इसे करंट मार्केट प्राइस का शॉर्ट फॉर्म CMA है।
किसी भी कंपनी का PE ratio kya hota hai यह जानने के लिए हमें कंपनी के EPS जानने की जरूरत पड़ती है। लेकिन यह EPS क्या है, और कैसे निकाला जाता है इसे भी हम इस लेख में जानेंगे।
Earing per Share = Profit after tax / No. Of shares
हिंदी में
प्रति शेयर आय = कंपनी का शुद्ध लाभ / कंपनी की शेयर्स की संख्या
हम इसे कैसे निकाला जाता है, इसके बारे में PE ratio example में विस्तार से जानेंगे।
PE ratio कैसे निकाले ( How to calculate PE ratio)
कंपनी का PE ratio निकालना बहुत ही आसान होता है। आपको सिर्फ ऊपर दिए PE ratio के फार्मूले का इस्तेमाल करना है। चलिए PE ratio कैसे निकालते हैं इसे एक उदाहरण से विस्तार में जानते हैं।
PE ratio example
मान लीजिए कि एक इन्वेस्टर को XYZ कंपनी में निवेश करना है। उस कंपनी का करंट मार्केट प्राइस ₹500 है। कंपनी में अब तक शेयर बाजार में 2 लाख शेयर जारी किए हैं। और कंपनी का प्रॉफिट आफ्टर टैक्स ( शुद्ध लाभ ) 10 लख रुपए है।
अब इस उदाहरण में हमें सबसे पहले कंपनी का EPS निकालना है।
EPS = प्रॉफिट आफ्टर tax / कंपनी में जारी किए गए शेयर
EPS = 1000000 / 200000
EPS = 50 है।
अब हम कंपनी का PE रेशों निकलेंगे।
PE ratio = Current market price of one share/ Earing per Share
PE ratio = 500 / 50
PE ratio = 10
इस उदाहरण में कंपनी का PE ratio 10 निकलकर आता है।
ऊपर दिए थे उदाहरण से हमें यह समझता है कि अगर XYZ कंपनी का PE ratio 10 है, तो हमें ₹1 कमाने के लिए कंपनी को ₹10 देने हैं। इस तरह अगर कंपनी का PE ratio 40 होता तो हमें ₹1 कमाने के लिए कंपनी को ₹40 देने पड़ते।
Types of PE ratio ( PE रेश्यो के प्रकार )
दोस्तों PE ratio kya hota hai यह समझते वक्त आपको की इस रेशों के प्रकार भी समझनी चाहिए। इस रेश्यो के प्रमुख दो प्रकार हैं।
1) TTM PE ratio
TTM यानी की 12 महीने का पिछला अनुपात ( Trailing Twelve Months) होता है। यह ratio कैलकुलेट करते समय पिछले त्रैमासिक से विभाजित करंट शेयर प्राइस को लिया जाता है। इस प्रकार की कैलकुलेशन बहुत ही आसानी से की जा सकती है। क्योंकि पिछले चार तिमाहीयो के यो आंकड़े आसानी से उपलब्ध होते हैं।
2) फॉरवर्ड PE ratio
यह रेश्यो निकलते समय आगे आने वाली चार तिमाहियों के EPS से करंट शेयर प्राइस को डिवाइड किया जाता है। यानी कि इस रेशों में भविष्य का विचार किया जाता है।
फॉरवर्ड PE, TTM से महत्वपूर्ण माना जाता है। क्योंकि भविष्य में कंपनियां किस प्रकार ग्रोथ कर सकती है इसका अंदाजा फॉरवर्ड PE से आता है। TTM भी जरूरी होता है लेकिन फारवर्ड के तुलना में थोड़ा सा कम जरूरी होता है।
PE ratio का उपयोग
दोस्तों हमने PE ratio kya hota hai यह जान लिया है। लेकिन इसका इस्तेमाल कैसे करना है यह भी जानना जरूरी है। चलिए इसका उपयोग कैसे करना है इसे हम एक आम जिंदगी वाले उदाहरण से जान लेते हैं।
मान लीजिए की हमें एक रेंटल इनकम करने के लिए एक शॉप खरीदनी है। और हमारे पास दो ऑप्शन है। एक दुकान 10 लख रुपए की है और दूसरी दुकान 12 लख रुपए की है। तो हमें कौन से दुकान को खरीदना चाहिए?
दोस्तों अगर हम पैसों को देखकर दुकान खरीदने का निर्णय लेते है, तो हर कोई 10 लाख रुपए की शॉप खरीदने की सोचेगा। लेकिन हम यहां पर इन्वेस्टमेंट करने की सोच रहे हैं। इसलिए हमें सबसे पहले कौन सा शॉप ज्यादा रिटर्न दे सकता है यह देखना है।
10 लख रुपए वाली शॉप ₹10000 इनकम देती है। और 12 लख रुपए वाली शॉप 15000 रुपए इनकम देती है। तो हमारे लिए सबसे अच्छी इन्वेस्टमेंट 12 लख रुपए वाली है।
दोस्तों इसी तरह PE ratio का उपयोग सस्ते प्राइस वाले शेयर्स की जगह अच्छे वैल्यू वाले शेयर्स खरीदने में होता है।
इसी प्रकार हम हम दो कंपनी के PE ratio को देखकर यह कह सकते हैं कि किस कंपनी में इन्वेस्ट करने के बाद हमें हमारी इन्वेस्टमेंट पर ज्यादा रिटर्न मिल सकते हैं।
कंपनियों का PE कम या ज्यादा क्यों होता
शुरुआत में नए लोग शेयर बाजार में कंफ्यूज होकर, यह समझते की, कंपनी का PE ratio उस कंपनी के मैनेजमेंट पर आधारित होता है। अगर कंपनी के मैनेजमेंट अच्छी है तो उसे कंपनी का PE रेशियो ज्यादा होता है। लेकिन सिर्फ यही एक कारण PE ratio ज्यादा होने के लिए महत्वपूर्ण नहीं होता है। क्योंकि रेश्यो ज्यादा होने के कई कारण होते हैं।
उसी प्रकार से अगर कंपनी का PE ratio कम है तो उसमें निवेश करने को नए लोग डरते हैं। लेकिन यहां रेशों कम होने के कई कारण होते हैं।
इसीलिए कंपनी का PE ratio ज्यादा देखकर उसमें निवेश करने से पहले सोचना चाहिए कि इसके पीछे कौन-कौन से कारण है। और कम होने पर भी उसके पीछे के कारणों को चाहिए।
High PE ratio क्यों होता है और कम क्यों होता है। और इसके पीछे कौनसे कारण होते है, इसे हमने ( Pe ratio kitna hona chahiye) इस लेख में विस्तार से बताया है।
PE ratio comparison
दोस्तों हम दो कंपनियों के PE ratio को देखकर यह कह सकते हैं कि किस कंपनी में हमें अपनी इन्वेस्टमेंट पर ज्यादा वैल्यू मिल सकता है। लेकिन कंपनी को PE ratio के आधार पर कभी कंपेयर करना है, जब दोनों कंपनियां एक ही इंडस्ट्री हो।
इसका मतलब यह है कि हमें एक सॉफ्टवेयर कंपनी को दूसरी सॉफ्टवेयर कंपनी के साथ ही कंपेयर करना है। या फिर एक ऑटोमोबाइल इंडस्टरीज को दूसरी ऑटोमोबाइल इंडस्टरीज के साथ ही कंपेयर करना है।
दोस्तों सेम इंडस्ट्रीज की कंपनियों कंपेयर इसलिए करना चाहिए, क्योंकि अलग-अलग इंडस्ट्रीज में कंपनी का PE रेशियो अलग-अलग होता है। कंज्यूमर कंपनी का रेशियो हमेशा साइक्लिक कंपनी से ज्यादा होता है। इसलिए कंपैरिजन सेम इंडस्ट्रीज में ही किया जाता है ।
PE ratio Value and Overvalued stocks
चलिए जानते हैं कंपनी का PE रेशियो देखने से कंपनी का स्टॉक under वैल्यू है या ओवर वैल्यू है कैसे जाने।
PE ratio Value stock
दोस्तों ज्यादा करके हाई PE ratio वाली कंपनियां हाई ग्रोथ वाली होती है। लेकिन अक्सर किसी न किसी वजह से हाय रेशों वाली कंपनियों का PE ratio कम हो जाता है।
जब हाई ग्रोथ वाली कंपनियों का रेशों कम हो जाता है, तब इस तरह के कंपनी को हम वैल्यू स्टॉक कहते हैं।
शेयर बाजार में अनुभव लोग है, जो अच्छे इन्वेस्टर होते हैं, वह इस तरह की कंपनी में निवेश करने की कोशिश करते हैं।
PE ratio Overvalued stocks
दोस्तों ज्यादातर लो PE वाली कंपनियां को ग्रोथ की होती है। जब बहुत सारी वजह से एवरेज या को ग्रोथ वाली कंपनियों का PE ratio बहुत हाई हो जाता है।
जब इन low growth वाली कंपनियों का PE बहुत हाई हो जाता है, तब इस तरह की कंपनियों के स्टॉक को overvalued stock कहते है।
जो अनुभव भी इन्वेस्टर होते हैं, वह इस तरह की कंपनियों में निवेश करना पसंद नहीं करते।
Note – लेकिन जब दो कंपनियां एक ही इंडस्ट्रीज की होती है, और दोनों का ग्रोथ एक जैसा है, तब जनरली इन्वेस्टर Low PE ratio वाली कंपनियों में इन्वेस्टमेंट करना पसंद करते हैं।
Current PE Vs Historical PE
मान लीजिए की ABC लिमिटेड कंपनी का करंट PE ratio 10 है। और पिछले 10 साल का एवरेज PE रेशियो 25 रहा है। तो यहां पर हम कह सकते हैं कि ABC लिमिटेड का शेयर इस वक्त अपनी हिस्टोरिकल प्राइस से बहुत सस्ते प्राइस पर मिल रहा है।
अगर कंपनी का बिजनेस पहले जैसा ही परफॉर्म कर रहा है, तो इस कंपनी का शेयर करंट 10 PE ratio पर खरीदना अच्छा इन्वेस्टमेंट हो सकता है।
लेकिन अगर ABC लिमिटेड का करंट PE 35 है, तो हम यह कह सकते हैं कि ABC लिमिटेड अपनी हिस्टोरिकल प्राइस से बहुत ही महंगे प्राइस पर मिल रहा है। और अभी इस कंपनी में इन्वेस्ट करना एक बुरा इन्वेस्टमेंट हो सकता है।
इस तरह यह रेशों एक इंपॉर्टेंट एक रेशों है। लेकिन हमें इसका उपयोग संभलकर करना चाहिए।
कंपनी में इन्वेस्ट करने से पहले आपको कंपनी का हिस्टोरिकल PE ratio जरूर देखना चाहिए।
निवेश करते समय कंपनी के पिछले तीन से पांच सालों तक EPS ग्रोथ देखनी चाहिए।
FAQ ( Pe ratio kya hota hai )
1) Pe ratio kya hota hai ?
कंपनी का शेयर खरीदते वक्त शेयर की अर्निंग के तुलना में कितने गुना भुगतान कर रहे हैं, उस अनुपात को PE ratio कहा जाता है।
2) PE ratio कितना होना चाइए?
अनुभवी ट्रेडर के अनुसार PE ratio 15 से 25 के बीच में होना चाहिए। लेकिन उसका कोई फिक्स वैल्यू नहीं होती है। यह कंपनी के ग्रोथ पर निर्भर करता है।
3) पी ई अनुपात को कैसे समझे?
पी ई अनुपात को समझने के लिए आपको सबसे पहले शेयर का करंट प्राइस देखना होगा और उसे करंट प्राइस को शेयर के प्रति आय से डिवाइड करना होगा।
4) पीई अनुपात का क्या मतलब है?
आसान भाषा में पीई अनुपात यानी की कंपनी का शेयर खरीदते वक्त ₹1 कमाने के लिए हमें कितना भुगतान करना पड़ रहा है। उसी को पीई अनुपात कहा जाता है।
5) सबसे अच्छा पीई अनुपात क्या है?
दोस्तों सबसे अच्छा पीई अनुपात 15 से लेकर 25 तक होता है। लेकिन इसकी कोई वैल्यू फिक्स नहीं होती है। यह कंपनी के ग्रोथ पर निर्भर करता है।
6) क्या पीई रेश्यो 5 से नीचे अच्छा है?
5 से नीचे का पीई रेश्यो अच्छा नहीं है। इसका मतलब यहां होता है कि कंपनी अच्छे से ग्रोथ नहीं दे रही है।
7) पीई अनुपात महत्वपूर्ण क्यों है?
पीई अनुपात से हमें यह आसानी होती है कि कंपनी का स्टॉक under वैल्यू है या ओवर वैल्यू है। किसी के साथ कंपनी के ग्रोथ समझने में आसानी होती है।
8) पी ई अनुपात की तुलना करने में क्या समस्या हो सकती है?
शेयर बाजार में कुछ कंपनियां किसी वर्ष बहुत अच्छा प्रॉफिट देती है, और कभी-कभी उनका प्रॉफिट बहुत ही तेजी से कम हो जाता है तब पी ई अनुपात की तुलना करने में समस्या होती है।
9) क्या 10 एक अच्छा पीई अनुपात है?
10 इतना भी ज्यादा अच्छा पी ई अनुपात नहीं है। क्योंकि कंपनी का PE अनुपात कंपनी के ग्रोथ पर निर्भर करता है। इसलिए आपको कंपनी के करंट शेयर प्राइस को EPS से डिवाइड करना चाहिए। और ग्रोथ, EPS,PAT, current share price, हिस्टोरिकल PE की तरफ देखना चाहिए।
10) क्या 16 एक अच्छा पीई अनुपात है?
दोस्तों 15 से लेकर 25 तक पीई अनुपात अच्छा माना जाता है। लेकिन यह अनुपात देखते समय आपको कंपनी के ग्रोथ की तरफ नजर रखनी है। जिससे यह मालूम होता है कि कंपनी के PE अनुपात में कोई फ्रॉड तो नही है।
Conclusion ( Pe ratio kya hota hai )
दोस्तों ऊपर pe ratio kya hota hai इस लेख में हमने PE ratio के बारे में विस्तार से जानकारी ली है। नए निवेशकों को इस रेशों के बारे में पूरा नॉलेज देने की पूरे मन से कोशिश की गई है। कंपनी में निवेश करने से पहले रेश्यो का क्या महत्व है, यह कैसे कैलकुलेट किया जाता है, इसके प्रकार कौन से हैं, आदि विषयों पर हमने बात की है।
यह लेख पढ़ने के बाद आपको कंपनी का फंडामेंटल एनालिसिस करते समय PE ratio का उपयोग करना आना चाहिए। कौन सी कंपनी का PE ratio क्या है, और वह कैसे बना है इस पर नजर रखें।
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Contents
- 1 PE ratio kya hota hai (पी ई अनुपात)
- 2 PE ratio कैसे निकाले ( How to calculate PE ratio)
- 3 Types of PE ratio ( PE रेश्यो के प्रकार )
- 4 PE ratio का उपयोग
- 5 कंपनियों का PE कम या ज्यादा क्यों होता
- 6 PE ratio comparison
- 7 PE ratio Value and Overvalued stocks
- 8 Current PE Vs Historical PE
- 9 FAQ ( Pe ratio kya hota hai )
- 10 Conclusion ( Pe ratio kya hota hai )
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