रिस्क रिवॉर्ड रेश्यो क्या है? Risk Reward Ratio In Hindi

दोस्तों ज्यादातर निवेशक और ट्रेडर्स बाजार में रातोरत करोड़पति बनने के सपने देते हैं। करोड़पति बनने के लिए शेयर बाजार का थोड़ा बहुत नॉलेज लेकर डायरेक्ट इंट्राडे ट्रेडिंग करना शुरू करते हैं। लेकिन अनुभव और Risk Reward Ratio का मैनेजमेंट ना होने के कारण शुरुआत में ही नुकसान कर बैठते हैं।

इसीलिए हमने इस लेख में आपको रिस्क रिवॉर्ड रेश्यो क्या होता है। उसे कैसे मैनेज करना चाहिए, और रिस्क रिवॉर्ड मैनेज करने के बाद बाजार में किस तरह से ट्रेड करना चाहिए, इन बातों को विस्तार से बताने की कोशिश की है।

अगर आपने इस लेख को अच्छे से पढ़ा तो आपको फिर से “Risk Reward Ratio In Hindi” यह जानने की जरूरत नही पड़ेगी।

रिस्क रिवॉर्ड रेश्यो क्या है? Risk Reward Ratio In Hindi

What is Risk Reward Ratio In Hindi

बाजार में ट्रेड लेने के पश्चात हमें कितना रिस्क लेना चाहिए यानी की कितना लॉस लेना चाहिए, और इस रिस्क के आधार पर हमे कितना रिवॉर्ड यानी की प्रॉफिट मिलना चाहिए। इस तरह प्रॉफिट और लॉस के रेश्यो को Risk Reward Ratio कहा जाता है।

दोस्तों रिस्क रिवॉर्ड रेश्यो को आप मनी मैनेजमेंट या फिर रिस्क मैनेजमेंट भी कह सकते हैं।

शेयर बाजार में रिस्क का मतलब

वित्तीय शब्दों में रिस्क यानी कि ऐसे वित्तीय अवसर जो निवेश के वास्तविक लाभ की अपेक्षा में अलग हो सकते हैं।

आसान भाषा में हम यह कह सकते हैं कि रिस्क यानी कि जोखीम जिसमें हमने निवेश किए हुए राशि पर बहुत सारा लाभ भी हो सकता है या फिर बड़ा नुकसान भी हो सकता है।

शेयर बाजार में रिवॉर्ड का मतलब

हिंदी भाषा में रिवॉर्ड का मतलब लाभ होता है। जब हम किसी चीज की रिस्क लेते हो तब उसे तारीख पर जो लाभ मिलता है उसे रिवॉर्ड कहा जाता है।

आसान भाषा में शेयर बाजार में किए गए रिस्की निवेश पर जब हमें प्रॉफिट होता है, तब उस प्रॉफिट को रिवॉर्ड कहा जाता है।

रिस्क रिवॉर्ड मैनेजमेंट

दोस्तों जैसे हमने ऊपर बताया कि ज्यादातर निवेशक और ट्रेडर्स रातों-रात अमीर बनने के सपने देखते हैं। और करोड़पति बनने की अपेक्षा से इंट्राडे ट्रेडिंग करनी शुरू करते हैं। लेकिन ऐसी अपेक्षा रखता मूर्खता है। क्योंकि जब कोई नया ट्रेडर इंट्राडे ट्रेडिंग शुरू करता है, और जब उसे इंट्राडे ट्रेडिंग का कोई अनुभव नहीं होता है। तब वह बड़ा नुकसान कर बैठता है।

शेयर बाजार में ऐसा कहा जाता है कि यह आदमी अपनी गलतियों से सीखना है, लेकिन इस प्रक्रिया में आपको बहुत बड़ी रकम गवानी पड़ सकती है। इसीलिए बाजार में ट्रेडिंग करने से पहले आपको रिस्क मैनेजमेंट का काम करना चाहिए।

ट्रेड लेने के बाद ट्रेड बाजार में कितना रिस्क ले सकता है, और नुकसान होने के बाद उसके भौतिक जीवन पर कितना प्रभाव पड़ सकता है। इसका मैनेजमेंट करने के बाद ही ट्रेडिंग करनी चाहिए।

Risk Reward Ratio कैसे निकाले

दोस्तों रिस्क और रिवॉर्ड क्या होता है, अब इस रिवॉर्ड मैनेजमेंट करना इतना जरूरी है, यह जानने के पश्चात हमें रिस्क रिवॉर्ड रेशों कैसे निकालना चाहिए यह भी मालूम होना चाहिए। तो चलिए जानते हैं कि रिस्क रिवॉर्ड कैसे निकालते हैं?

How to calculate Risk Reward Ratio In Hindi

1) टारगेट फिक्स करें

रिस्क रिवॉर्ड रेशों निकलने से पहले आपको एक लक्ष्य निर्धारित करना पड़ता है। आपका लक्ष्य निर्धारित करता है कि वह आपको कितना लाभ कमाकर दे सकता है।

2) स्टॉपलॉस निश्चित करें

टारगेट फिक्स करने के साथ-साथ आपको स्टॉप लॉस में फिक्स करना है। स्टॉपलॉस निर्धारित करने से हम नुकसान को कंट्रोल कर सकते हैं।

3) रिस्क रिवॉर्ड रेश्यो की गणना 

जब हम टारगेट और स्टॉप लॉस निर्धारित करते हैं, तब उन दोनों के बीच के अनुपात को रिस्क परिवार रेशों कहा जाता है।

Risk Reward Ratio फॉर्मूला 

Risk Reward Ratio = Target / Stoploss 

जोखिम लाभ अनुपात = लक्ष का लाभ (टारगेट)/ स्टॉपलॉस

Risk Reward Ratio Example 

मान लीजिए कि शेयर बाजार में तेजी का माहौल है और बाजार ऊपर की तरफ बढ़ रहा है। तब आपने ABC लिमिटेड कंपनी की शेयर को 200 रुपए मार्केट प्राइस पर खरीद लिया।

ट्रेड में एंट्री लेने के बाद अपने 150 रुपए पर स्टॉपलॉस लगाया और 300 रुपए पर टारगेट लगाया।

रिस्क रिवॉर्ड रेश्यो = टारगेट / स्टॉपलॉस

रिस्क रिवॉर्ड रेश्यो = 300/150

रिस्क रिवॉर्ड रेश्यो = 2/1

इस तरह रिस्क रिवॉर्ड रेशों निकाला जाता है।

रिस्क रिवॉर्ड रेशों का महत्व

दोस्तों ट्रेडिंग वक्त के रहने के लिए और खुद के कैपिटल को बचाए रखने के लिए आपको रिस्क रिवॉर्ड रेशों का मैनेजमेंट करना बहुत जरूरी होता है। इसीलिए इसके महत्व को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है।

1) रिस्क प्रबंधन – रिस्क रिवॉर्ड रेशों निवेशकों को ज्यादा से ज्यादा कितने रिस्क लेनी चाहिए यह बताता है।

2) निर्णय लेने में सहायक – यह अनुपात सभी निवेशक तथा ट्रेडर्स को जल्द से जल्द निर्णय लेने में सहायता करता है।

3) विश्वसनीय लाभ – इस अनुपात को मैनेज करने के कारण निवेशकों को लाभ होने की संभावना ज्यादा होती है।

रिस्क प्रोफाइल तैयार करें

Risk reward ratio मैनेज करने से पहले आपको अपनी खुद की रिस्क प्रोफाइल तैयार करनी चाहिए। आपका निवेश आपकी रिस्क प्रोफाइल के अनुसार होना चाहिए। रिस्क प्रोफाइल आपकी उम्र, आपकी जिम्मेदारियां, आपकी आमदनी और आर्थिक और पारिवारिक हालत को देखकर तैयार करनी चाहिए।

इंट्राडे ट्रेडिंग में सभी ट्रेडर्स को उनका बाजार में अस्तित्व बनाए रखने के लिए जोखिम को नियंत्रित रखने की कला सीखनी चाहिए। कई नए ट्रेडर्स बाजार में आकर बड़ी रिस्क लेने के कारण और बड़ी पोजीशन तैयार करने के कारण बड़ा नुकसान कर बैठे हैं। और आर्थिक स्थिति बिगड़ने के कारण फिर वह लोग बाजार में कभी निवेश नहीं करते हैं।

लेकिन जो लोग रिस्क प्रोफाइल तैयार करते हैं मैनेजमेंट करके बाजार में निवेश करते हैं वह लोग बाजार से अच्छा खासा मुनाफा करते हैं।

लेकिन जिन लोगों को रस के मैनेजमेंट करना नहीं आता है वह लोग शेयर बाजार से दूर रहकर अपनी कैपिटल को फिक्स डिपाजिट, म्युचुअल फंड्स या फिर रियल एस्टेट आदि क्षेत्रों में निवेश करें।

रिस्क रिवॉर्ड रेशों का 2% नियम

दोस्तों risk reward ratio में दो प्रतिशत का नियम सारी दुनिया में जग प्रसिद्ध है। आप चलिए जानते हैं कि आखिरकार यह 2% का नियम क्या है?

अगर आप एक ट्रेड करते हैं, तब आपकी संपूर्ण राशि जो आपके ट्रेडिंग अकाउंट में है, तो आप उसके 2% का ही रिस्क ले सकते हैं।

यानी कि अगर आपके पास 100 करोड रुपए है तो आप उसमें से सिर्फ 2 करोड रुपए पर ही रिस्क ले सकते हैं। शेयर बाजार बहुत ही वोलेटाइल होता है, अगर बाजार आपकी दिशा में जाता है, तो आपको अच्छा खासा लाभ हो सकता है। लेकिन अगर बाजार में अचानक से आपके अपेक्षा से गलत बर्ताव किया तो आपको केवल सिर्फ दो प्रतिशत का ही नुकसान हो सकता है।

इस 2% नियम के कारण ट्रेड अगर एक ही दिन में चार-पांच बार भी स्टॉपलॉस हिट करता है फिर भी वह उसी दिन या फिर दूसरे दिन ट्रेडिंग करके अपना नुकसान फिर से रिकवर कर सकता है। क्योंकि उसने किया हुआ नुकसान उसके कैपिटल से बहुत छोटा होता है।

Risk reward ratio 1:3

दोस्तों दुनिया भर में Risk reward ratio की थियरी में 1:3 नियम को बहुत महत्व दिया जाता है। अधिकांश इंट्राडे ट्रेडिंग एक अनुपात तीन के नियम से ही रिस्क रिवॉर्ड रेशों का पालन करते हैं।

1 अनुपात 3 का मतलब यह है की अगर आपको एक ट्रेड ले रहे हैं, तो आपका  स्टॉपलॉस 1 रुपए का है, तो आपका टारगेट कम से कम 3 रुपए का होना चाहिए। और इससे ज्यादा हो तो अच्छी बात होती है।

इसलिए एक उदाहरण से समझते हैं।

मान लीजिए कि आपने एक ट्रेड को ₹500 मार्केट प्राइस पर खरीद लिया। अपने स्टॉप लॉस ₹400 पर लगाया है और टारगेट ₹1200 पर लगाया है।

रिस्क रिवॉर्ड अनुपात = टारगेट/ स्टॉपलॉस = 1200/400=3/1

इस तरह 1:3 नियम का पालन किया जाता है।

Risk reward ratio के लाभ और नुकसान

दोस्तों ट्रेडिंग करते समय आपको हर एक थिअरी के पीछे लाभ और नुकसान दोनों मिल जाएंगे। हमे इस तकनीक को फॉलो करना चाहिए जिस तकनीक से ज्यादा लाभ हो सके। तो चलिए रिस्क रिवॉर्ड रेशों के लाभ और नुकसान के बारे में जानते हैं।

रिस्क रिकॉर्ड रेश्यो के लाभ

1) इसका मैनेजमेंट करने के पश्चात आप ज्यादा से ज्यादा प्रॉफिट कर सकते हैं।

2) Risk reward ratio का मैनेजमेंट करने के बाद आप नुकसान को नियंत्रित कर सकते हैं।

3) इस अनुपात के कारण आपको ट्रेड में एंट्री और एग्जिट का निर्णय लेने में आसानी होती है।

4) रिस्क रिवॉर्ड रेशों को मैनेज करने के कारण आप खुद के कैपिटल को ज्यादा दिन तक बचाए रख सकते हैं।

5) रिस्क को इस मैनेज करने के कारण आप खुद के मन पर काबू रखने में सफल हो जाते हैं।

रिस्क रिवॉर्ड रेशों के नुकसान

1) रिस्क रिवॉर्ड रेश्यो को मैनेज करने के बाद आपको बहुत बड़े लेवल पर प्रॉफिट नहीं हो सकता है।

2) आप जीरो टू हीरो गेम नहीं खेल सकते हैं।

3) अगर आपके पास बहुत कम कैपिटल है, तो आप रिस्क और रिवॉर्ड रेशों मैनेज करने के बाद भी थोड़ा कैपिटल होने के कारण बाजार में ज्यादा प्रॉफिट नहीं कर सकते हैं।

4) नए ट्रेडर्स के पास अनुभव की कमी होने के कारण वह रिस्क रिवॉर्ड रेशों मैनेज किए बिना ही ट्रेडिंग करते हैं और नुकसान कर बैठते हैं।

5) कई बार रिस्क रिवॉर्ड रेशों मैनेज करने के बाद भी अगर आप मार्केट के विरुद्ध दिशा में ट्रेडिंग कर रहे होते हैं तो आपको नुकसान का सामना हो सकता है।

FAQ

1) रिस्क रिवॉर्ड रेश्यो क्या होता है?
जब बाजार ट्रेड में उतरने के पश्चात रिस्क को मैनेज करके जो रिवॉर्ड पाया जाता है, तब लाभ और नुकसान के अनुपात को रिस्क रिवॉर्ड रेश्यो कहा जाता है।

2) 1/2 रिस्क टू रिवॉर्ड रेश्यो क्या है?
जब आप शेयर बाजार में आपके पूरे कैपिटल पर  1% की रिस्क लेते और 2% का प्रॉफिट करते है तब उसे 1/2 रिस्क टू रिवॉर्ड रेश्यो कहा जाता हैं।

3) जोखिम इनाम अनुपात की गणना कैसे करें?
जोखिम में अनुपात की गणना करने के लिए आगे दिए गए सूत्र का इस्तेमाल करें

जोखिम इनाम अनुपात = कुल लाभ / जोखिम मूल्य

4) इंट्राडे ट्रेडिंग में रिस्क रिवॉर्ड रेशियो की गणना कैसे करें?
इंट्राडे ट्रेडिंग करते समय रिस्क रिवॉर्ड रेशियो की गणना करने के लिए आगे दिए गए फार्मूले का उपयोग करें –

रिस्क रिवॉर्ड रेशियो = टारगेट / स्टॉपलॉस

5) क्या 1:1 रिस्क रिवॉर्ड अच्छा है?
अगर आप लंबे समय तक इंट्राडे ट्रेडिंग करना चाहते हैं तो यह रिस्क रिवॉर्ड अच्छा नहीं होता है।

Conclusion 

दोस्तों शेयर बाजार में ज्यादा से ज्यादा दिन टिके रहने के लिए और अच्छा खासा प्रॉफिट कमाने के लिए आपको रिस्क रिवॉर्ड मैनेज करना चाहिए। इसीलिए “Risk Reward Ratio In Hindi” इस लेख में हमने रिस्क रिवॉर्ड क्या होता है, इसे कैसे निकालना चाहिए, और यह मैनेज करने के बाद ट्रेड कैसे करना चाहिए आदि जानकारी को विस्तार से देने की कोशिश की है।

यह लेख पढ़ने के बाद आपको शुरुआत में पेपर ट्रेडिंग करनी चाहिए। पेपर ट्रेडिंग करते समय आपको खुद के मन पर काबू रखने के लिए रिस्क रिवॉर्ड रेशों मैनेज करके ट्रेडिंग करनी चाहिए। और बाद में अच्छा खासा अनुभव आने के बाद और कॉन्फिडेंस बढ़ाने के बाद रियल ट्रेडिंग शुरू करनी चाहिए।

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