दोस्तों अगर आप शेयर बाजार में नए हो, या फिर कितने भी पुराने क्यों न हो। अगर आपको शेयर बाजार में निवेश करना है या फिर ट्रेडिंग करनी है, तो आपको ट्रेन की पहचान करनी आनी चाहिए। अगर आप बिना ट्रेन को पहचाने इस बाजार में काम करने लगे तो आपकी इन्वेस्टमेंट हमेशा नुकसानदायक साबित होगी। और बिना ट्रेंड लाइन को पहचाने शेयर बाजार में निवेश करना बिल्कुल सट्टे के समान माना जाए।
इसीलिए इस लेख में हमने “Trend Line Kya Hota Hai” और ट्रेंड लाइन के कितने प्रकार होते हैं, उनका निर्माण कैसे होता है आदि बातों को विस्तार से समझाया है।
ट्रेंड लाइन क्या होता है / Trend Line Kya Hota Hai
आसान भाषा में ट्रेड का मतलब बाजार की चाल होता है। इसे थोड़ा और विस्तार से समझे तो बाजार की चाल किस दिशा जा रही है, या फिर चाल किस दिशा में जा सकती है इसका अंदाजा लगाने वाली को ट्रेंड लाइन कहा जाता है।
जब शेयर बाजार में कोई इंडेक्स या फिर कोई शेयर थोड़ा बहुत उपर- नीचे होते हुए हाई और लो बनाते हुए किसी एक दिशा में बढ़ता है, तब सभी लो पॉइंट को या फिर अभी हाई पॉइंट को जोड़ने वाली लाइन खींची जाती है। तब उसे लाइन को ट्रेंड लाइन कहा जाता है।
दोस्तों आप चाहे किसी भी बाजार ट्रेडिंग करना चाहते हो, चाहे वह कमोडिटी बाजार हो, शेयर बाजार हो या फिर फॉरेक्स बाजार हो, सभी जगह ट्रेडिंग करते समय आपको ट्रेंड लाइन को पहचानना जरूर आना चाहिए।
ट्रेंड लाइन के प्रमुख तीन प्रकार होते हैं
दोस्तो Trend Line Kya Hota Hai यह जानने के बाद चलिए जानते हैं की ट्रेंड लाइन के कितने प्रकार होते हैं और उनका निर्माण कैसे होता है।
1) अप ट्रेंड लाइन (Up trend line)
जब बाजार में कैंडल्स हायर हाय और लोअर लो बनाते हुए लगातार ऊपर की दिशा में चलती है, तब बाजार में अप ट्रेंड चल रहा है पैसा कहा जाता है।
इस समय बाजार में सप्लाई की तुलना में डिमांड ज्यादा होती है। इसी कारण से बाजार में तेजी का माहौल रहता है। इस समय ट्रेडर्स को बाजार में खरीदी करने के संकेत मिलते हैं।
अप ट्रेंड लाइन का निर्माण
जब बाजार में मंदी का माहौल होता है, या फिर बाजार साइड वाइस चल रहा होता है, तब अचानक से बाजार में डिमांड बढ़ने के कारण बाजार हायर हाई और हायर लो बनाते हुए ऊपर के और बजने लगता है। हायर हाई पॉइंट को या फिर लोअर लो पॉइंट को जोड़ने वाले लाइन को जब खिंचा जाता है, तब अप ट्रेंड का लाइन का निर्माण हुआ ऐसे कहा जाता है।
यह मंदी को और साइडवाईज ट्रेंड को खत्म कर बाजार में तेजी का माहौल लाता है।
अप ट्रेंड में ट्रेड कैसे करे
अगर शेयर बाजार में अप ट्रेंड शुरू है, और आपको ट्रेड में एंट्री लेनी है, तो आप दो तरह से बाजार में एंट्री ले सकते हैं।
1) अगर आपकी टेक्निकल एनालिसिस अच्छी है, और आपको लगता है कि और कुछ समय के लिए ट्रेंड ऊपर की तरफ ही जाने वाला है, तो आप बेझिझक किसी भी पॉइंट पर एंट्री ले सकते हैं और टारगेट सेट करके प्रॉफिट बुक कर सकते हैं।
2) लेकिन अगर आपको टेक्निकल एनालिसिस करते समय अप ट्रेंड खत्म होने के कुछ संकेत मिलते हैं, तो आप अप ट्रेंड में हायर लो को जोड़ने वाली खींची लाइन को ब्रेक करने के बाद उसकी अगली वाली टेंडर में शॉर्ट सेलिंग के लिए एंट्री ले सकते हैं।
2) साइडवायज ट्रेंड लाइन (Sidewise trend line)
दोस्तों जब बाजार में मंदी और तेजी दोनो का माहौल खत्म होता है। डिमांड और सप्लाई दोनो एक समान होती है। तब शेयर बाजार थोडासा उपर – नीचे होता रहता है, और होराइजंटली जाने की क्षितिज समांतर दिशा में आगे बढ़ता है, तब एक सपोर्ट लाइन और एक रेजिस्टेंस लाइन खींच कर मार्केट उन दो लाइन के बीच आगे बढ़ता रहता है। तब उन लाइन्स को साइडवायज ट्रेंड लाइन कहा जाता है।
साइडवाइस ट्रेंड लाइन में इंट्राडे ट्रेड बहुत तगड़ा प्रॉफिट बुक कर लेते हैं। क्योंकि इस ट्रेंड की वजह से मार्केट की रिस्क कम होने के कारण ट्रेडर्स दबा के पैसा कमाते हैं।
साइड वाइस ट्रेंड लाइन का निर्माण
जब बाजार में डिमांड और सप्लाई एक समान होता है तब मार्केट क्षितिज समांतर एक सपोर्ट लाइन और एक रेजिस्टेंस लाइन तैयार करके इन्ही लाइन के बीच आगे बढ़ता है। कब इन लाइंस को साइड वाइस ट्रेंड लाइन का निर्माण हुआ है ऐसा कहा जाता है।
साइड वाइस ट्रेंड लाइन में ट्रेड कब करें
जब मार्केट साइड वाइस ट्रेंड लाइन तैयार करता है तब आपको ट्रेंड में उत्तर देते समय दो संभावना दिख सकती है।
साइड वाइस ट्रेंड खत्म होते समय यदि मार्केट में ज्यादा डिमांड बढ़ गई तो ट्रेंड ऊपर की तरफ बढ़ने लगता है। तब आपको रेजिस्टेंस लाइन को जो कैंडल ब्रेक करती है उसे कैंडल के अगली कैंडल में एंट्री लेकर खरीदी करनी चाहिए।
यदि बाजार में सप्लाई ज्यादा होता है और डिमांड कम होती है, तो सपोर्ट लाइन को ब्रेक करने वाली कैंडल के अगले कैंडल में आपको एंट्री लेनी चाहिए और बिकवाली करनी चाहिए।
3) डाउन ट्रेंड लाइन (Down trend line)
दोस्तो जब बाजार में सप्लाई ज्यादा होता है और डिमांड कम होती है तब बाजार नीचे गिरने लगता है। और जब बाजार ज्यादा समय तक नीचे गिरता रहता है तब बाजार में मंदी का माहौल तैयार होता है, उस समय मंदी के ट्रेंड को डाउन ट्रेंड कहा जाता है।
डाउन ट्रेंड तैयार होते समय उस ट्रेंड के लो पॉइंट को जोड़ने वाली खींची गई लाइन को डाउन ट्रेंड लाइन कहा जाता है।
डाउन ट्रेंड का निर्माण
दोस्तो जब बाजार में मंदी का माहौल होता है तब बाजार में बड़े लेवल पर गिरावट होती है। उस समय बाजार लोअर लो और लोअर हाई तयार करते नीचे की ओर गिरता रहता है।
जब लोअर लो पॉइंट को जोड़ने वाली लाइन खींची जाती है, और बाजार और नीचे गिर सकता है, तब बाजार में डाउन ट्रेंड निर्माण हुआ है और डाउन ट्रेंड लाइन निर्माण हुई है ऐसा कहा जाता है।
डाउन ट्रेंड में ट्रेड कैसे करे
अगर आपका टेक्निकल एनालिसिस अच्छा है, और आपको बाजार में डाउन ट्रेंड दिखाई दिया, और आपको लगता है कि यह मंदी का माहौल और कुछ समय तक बना रहेगा तो आप किसी भी पॉइंट पर बिकवाली करके ट्रेड ले सकते हैं।
लेकिन अगर मंदी का माहौल खत्म होकर तेजी या फिर साइड वाइज ट्रेंड शुरू होने के संकेत दिखाई देने के बाद आपको रेजिस्टेंस लाइन ब्रेक होने के बाद उसकी अगली कैंडल में लॉन्ग पोजीशन के लिए एंट्री लेनी चाहिए। सभी प्रकार की ट्रेंड लाइन में स्टॉप लॉस और टारगेट आप अपनी खुद के स्ट्रेटजी के अनुसार लगा सकते हैं।
Conclusion
दोस्तों Trend Line Kya Hota Hai यह समझने के बाद आपको सबसे पहले इसका उपयोग पेपर ट्रेडिंग करते समय करना चाहिए। जब आप का कॉन्फिडेंस बढ़ता है तब रियल ट्रेडिंग करते समय आपको इन लाइंस का उपयोग करना चाहिए। इस लेख में हमने ट्रेंड लाइन क्या होती है और ट्रेन लाइन दिखाई देने के बाद किस तरह ट्रेडिंग करनी चाहिए यह समझने की कोशिश की है।
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