दोस्तों शेयर बाजार में किसी भी कंपनी में निवेश करने से पहले हमें मालूम होना चाहिए कि वह कंपनी किस तरह से ग्रो कर रही है। इसीलिए निवेश करने से पहले हमें कंपनी का फंडामेंटल एनालिसिस करना चाहिए।
एनालिसिस करते समय हम कई प्रकार के Ratios का अध्ययन करते हैं। उन्ही ratios में से एक Gross Margin kya hota hai, इसका महत्व क्या है, और इसे कैसे कैलकुलेट किया जाता है, यह सब हम इस लेख में विस्तार से जानने की कोशिश करेंगे।
ग्रॉस मार्जिन क्या होता है ( Gross Margin kya hota hai )
आसान भाषा में हम कह सकते हैं कि, कंपनी के रेवेन्यू में से कंपनी जो प्रोडक्ट बनाती है, उस प्रोडक्ट की मैन्युफैक्चरिंग कॉस्ट (डायरेक्ट कॉस्ट) को घटा दे तो रेवेन्यू का जितना हिस्सा कंपनी के लिए बचेगा, उसे हम ग्रॉस मार्जिन कह सकते है।
दोस्तों ग्रॉस मार्जिन को ग्रॉस प्रॉफिट मार्जिन भी कहा जाता है।
Gross margin formula
दोस्तों ग्रॉस प्रॉफिट मार्जिन का फॉर्मूला आसान है। इस फार्मूले को उपयोग कर आप किसी भी कंपनी का ग्रॉस प्रॉफिट मार्जिन निकाल सकते हैं। लेकिन सिर्फ फार्मूला समझना काफी नहीं है आपको उसे फार्मूले को समझ कर कंपनी की फंडामेंटल एनालिसिस करना चाहिए।
ग्रॉस मार्जिन = (कंपनी का टोटल रिवेन्यू – कॉस्ट ऑफ गुड सोल्ड) / टोटल रिवेन्यू
Gross Margin = (Revenue – COSG)/ Revenue
कास्ट ऑफ़ गुड्स सोल्ड (COSG) को हम डायरेक्ट कास्ट भी कर सकते हैं, या फिर यह कंपनी का एक प्रोडक्ट बनाने की मैन्युफैक्चरिंग कॉस्ट होती है।
Gross Margin calculation
दोस्तों किसी भी कंपनी में निवेश करने के पहले से फंडामेंटल एनालिसिस करते समय ग्रॉस मार्जिन कैलकुलेट करना अच्छा होता है। इससे हमें कंपनी के बारे में अधिक जानकारी मिलती है। ऊपर दिए गए फार्मूले की मदद से ग्रोथ मार्जिन कैलकुलेट करना आसान होता है।
लेकिन इसके लिए हमें कंपनी का टोटल रेवेन्यू और कंपनी के प्रोडक्ट की मैन्युफैक्चरिंग की कॉस्ट मालूम होना चाहिए। यह कॉस्ट हमें कंपनी के बैलेंस शीट में दिखाई देती है।
तो फिर चलिए जानते हैं कि ग्रॉस मार्जिन कैसे कैलकुलेट की जाए।
Gross margin kya hota hai example
दोस्तों मान लीजिए कि एबीसी लिमिटेड एक कंपनी है। इस कंपनी की बैलेंस शीट में कंपनी का टोटल रिवेन्यू 2000 करोड रुपए है। और कंपनी के प्रोडक्ट को बनाने की मैन्युफैक्चरिंग कॉस्ट यानी कि डायरेक्टर कास्ट 1100 करोड़ है।
तो इस तरह फार्मूला में रेवेन्यू और कॉस्ट ऑफ गुड सोल्ड को डालकर हम ग्रॉस मार्जिन कैलकुलेट कर सकते हैं।
ग्रॉस मार्जिन = (कंपनी का टोटल रिवेन्यू – कॉस्ट ऑफ गुड सोल्ड) / टोटल रिवेन्यू
ग्रॉस मार्जिन = (2000 – 1100)/2000
ग्रॉस मार्जिन = 0.45
अगर हम इसे परसेंटेज में कन्वर्ट करें तो
ग्रॉस मार्जिन = 0.45*100=45%
इस प्रकार एबीसी लिमिटेड कंपनी का ग्रॉस मार्जिन 45% निकाल कर आता है।
इससे हमें यह मालूम होता है कि एबीसी लिमिटेड कंपनी जब अपना एक प्रोडक्ट बेचती है, तब इस कंपनी को उसे प्रोडक्ट पर 55% का प्रॉफिट होता है। और वह प्रोडक्ट बनाने के लिए कंपनी को 45% खर्चा आता है।
अलग-अलग इंडस्ट्रीज में ग्रॉस मार्जिन का महत्व
दोस्तों ग्रॉस मार्जिन का उपयोग दो एक समान कंपनियों की तुलना करने के लिए किया जाता है। ऐसा इसलिए किया जाता है क्योंकि हर इंडस्ट्रीज के कंपनियों का ग्रोथ मार्जिन अलग-अलग होता है।
जो कंपनियां सर्विस क्षेत्र में होती है। वह कंपनियों का ग्रॉस मार्जिन बहुत ही ज्यादा होता है। क्योंकि जो कंपनियां सर्विस देती है, उन कंपनियों में प्रोडक्ट तैयार करने की आवश्यकता नहीं होती है। प्रोडक्ट तैयार करने की आवश्यकता ना होने के कारण कंपनी की मैन्युफैक्चरिंग कॉस्ट ना के बराबर होती है। कंपनी का पूरा प्रॉफिट कंपनी के सर्विस पर निर्भर होता है।
अगर कंपनी कोई प्रोडक्ट तैयार करती है, तो वह प्रोडक्ट तैयार करने में कंपनी को खर्चा आता है। यानी की कंपनी एक प्रोडक्ट बेस कंपनी है। इस तरह की कंपनी में ग्रॉस प्रॉफिट मार्जिन ज्यादातर काम रहता है। क्योंकि इन कंपनियों की मैन्युफैक्चरिंग कॉस्ट ज्यादा होती है।
इसीलिए ग्रॉस मार्जिन को कैलकुलेट करते समय दोनों कंपनियां एक ही इंडस्ट्री की होनी चाहिए।
ग्रॉस मार्जिन कितना होना चाहिए
दोस्तों जब दोनों कंपनियां एक इंडस्ट्रीज की होती है, लेकिन उनमें से एक कंपनी का ग्रॉस मार्जिन ज्यादा है और वह हर साल बढ़ रहा है। तो अनुभवी इन्वेस्टर हमेशा जिस कंपनी का ग्रॉस मार्जिन ज्यादा है उसे कंपनी ने निवेश करते हैं।
ग्रॉस मार्जिन ज्यादा क्यों होता है
अगर हम ग्रॉस मार्जिन के फार्मूले को ध्यान से देखें, तो हमें ग्रॉस मार्जिन ज्यादा होने के दो कारण दिखाई देते हैं।
1) पहली वजह यह हो सकती है कि कंपनी अपने प्रोडक्ट को दूसरी कंपनियों से ज्यादा कीमत पर बेच रही है। जिस कंपनी खुद का रेवेन्यू ज्यादा बन पा रही है। और इसलिए कंपनी का ग्रॉस मार्जिन बढ़ रहा है।
2) दूसरी वजह यह हो सकती है कि कंपनी अपने प्रोडक्ट को कंपीटीटर के प्रोडक्ट से कम कॉस्ट में बना रही है। इस कारण से कंपनी का डायरेक्ट मैन्युफैक्चरिंग कॉस्ट (COGS) कम हो रहा है। और इस कारण से कंपनी का ग्रॉस मार्जिन बढ़ रहा है।
इस दोनों वजह के कारण कंपनी अपने प्रोडक्ट को कंपीटीटर के प्रोडक्ट से कम कीमत पर बना रही है और ज्यादा कीमत पर बेच रही है, इसीलिए कंपनी का ग्रॉस मार्जिन ज्यादा होता है।
ग्रॉस मार्जिन से क्या समझता है
किसी भी कंपनी के ग्रॉस मार्जिन को देखकर हमें यह समझ में आता है कि, अगर कंपनी का ग्रोथ मार्च में ज्यादा है तो कंपनी लो प्राइस पर अच्छी प्रोडक्ट तैयार कर रही है। और कंपनी उसे प्रोडक्ट को ज्यादा कीमत पर बेचकर अच्छा प्रॉफिट कम रही है। इससे कंपनी का रेवेन्यू बढ़ रहा है। और अगर ऐसी कंपनी में निवेश करें तो, यह कंपनी निवेशकों को अच्छे रिटर्न दे सकती है।
लेकिन कंपनी का ग्रॉस मार्जिन कम हो तो वह किस कारण से कम है, और अगर ग्रॉस मार्जिन ज्यादा हुआ तो वह किस कारण से ज्यादा है, और वह कंपनी किस इंडस्ट्री की है यह देखकर और इसे एनालिसिस करने के बाद निवेश करना चाहिए।
FAQ (Gross margin kya hota hai)
1) ग्रॉस प्रॉफिट कैसे निकालते हैं?
ग्रॉस प्रॉफिट को कंपनी के रेवेन्यू में से कंपनी के प्रोडक्ट की मैन्युफैक्चरिंग कॉस्ट को घटाकर निकाला जाता है।
2) सकल मार्जिन किसे कहते हैं?
किसी भी कंपनी के प्रोडक्ट मैन्युफैक्चरिंग कॉस्ट को कंपनी के रेवेन्यू में से घटकर बचे हुए मार्जिन को सकल मार्जिन कहा जाता है।
3) प्रॉफिट मार्जिन कम क्यों होते हैं?
अगर किसी कंपनी का प्रोडक्ट मैन्युफैक्चरिंग कॉस्ट ज्यादा होता है, और कंपनी अपने प्रोडक्ट को कम कीमत पर बेचती है, तो कंपनी का प्रॉफिट मार्जिन कम होता है।
4) अगर सकल मार्जिन कम हो जाए तो इसका क्या मतलब है?
अगर किसी कंपनी का सकल मार्जिन कम हो जाए तो इसका मतलब यह होता है कि कंपनी को अपना प्रोडक्ट कम कीमत पर बेच रही है, और कंपनी की प्रोडक्ट मैन्युफैक्चरिंग कॉस्ट बहुत ज्यादा है।
5) ग्रॉस मार्जिन कितना होना चाहिए?
ग्रॉस मार्जिन कितना होना चाहिए यह कंपनी किस इंडस्ट्रीज में काम करती है इस पर निर्भर होता है।
Conclusion (Gross margin kya hota hai)
दोस्तों Gross margin kya hota hai इस लेख में हमने ग्रॉस मार्जिन के बारे में विस्तार से जानकारी लेने की कोशिश की है। किसी भी कंपनी में निवेश करने से पहले आपको ग्रॉस मार्जिन क्यों देखनी चाहिए और इसका क्या महत्व है, यह ऊपर बताया गया है। जब दोनों कंपनियां एक ही इंडस्ट्रीज की होती है, तब ग्रॉस मार्जिन को कंपेयर करना अच्छी बात होती है।
ग्रॉस मार्जिन से हमें यह समझ में आता है कि कंपनी अपने प्रोडक्ट को बनाते समय कितनी कीमत खर्च कर रही है और इस प्रोडक्ट को कितने कीमत पर बेच रही है।
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Contents
- 1 ग्रॉस मार्जिन क्या होता है ( Gross Margin kya hota hai )
- 2 Gross Margin calculation
- 3 अलग-अलग इंडस्ट्रीज में ग्रॉस मार्जिन का महत्व
- 4 ग्रॉस मार्जिन कितना होना चाहिए
- 5 ग्रॉस मार्जिन ज्यादा क्यों होता है
- 6 ग्रॉस मार्जिन से क्या समझता है
- 7 FAQ (Gross margin kya hota hai)
- 8 Conclusion (Gross margin kya hota hai)
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