दोस्तों अगर आप शेयर बाजार सीखना चाहते हैं, और आपने “PE ratio kya hota hai” यह सीख लिया है। लेकिन Pe ratio kitna hona chahiye यह जानना चाहते हो, तो आप सही जगह पर आए हो। अलग-अलग वेबसाइट पर अलग-अलग जानकारी देकर लोगों को गुमराह किया जा रहा है। कई विश्लेषक PE ratio कितना होना चाहिए, यह बताने के बजाएं एक अंदाजा देने की कोशिश करते हैं।
आपके लिए हमें इस लेख में Pe ratio kitna hona chahiye इसे चार उदाहरण के साथ समझाने की कोशिश की है। सभी संभावनाओं को ध्यान में रखते हुए हमने PE ratio की कैलकुलेशन करने की कोशिश की है।
Pe ratio kitna hona chahiye
कई अनुभवी वित्तीय विश्लेषकों के नजर से PE रेशियो 15 से 25 के बीच होना अच्छी बात होती है।
दोस्तों लेकिन PE रेशियो कितना होना चाहिए यह उस कंपनी के ग्रोथ पर और कंपनी किस क्षेत्र से संबंधित है इस पर निर्भर करता है।
इसलिए सटीक PE ratio क्या होना चाहिए, यह बताने से पहले आपको कुछ बातें ध्यान में रखनी जरूरी है। वह क्या बातें होती है उसे हम उदाहरण लेकर समझने वाले हैं।
Pe ratio kitna hona chahiye with Example
अगर आपको PE रेशों क्या है, यह समझ में आया है तभी आपको में नीचे दिए गए उदाहरण समझ में आने वाले हैं। इसीलिए सबसे पहले आपको PE ratio की कॉन्सेप्ट अच्छे से समझना चाहिए। तभी आपको Pe ratio kitna hona chahiye यह उदाहरण से समझ में आ सकता है।
PE ratio = Current market price of one share/ Earing per Share (EPS)
ऊपर दिए गए फार्मूले को और कुछ फॉर्मूले में दिए गए करंट मार्केट प्राइस और EPS को हमने पिछले “PE ratio kya hota hai” लेख में विस्तार से बताया है।
PE Ratio Example – 1 (Low PE)
दोस्तों मान लेते हैं कि XYZ लिमिटेड एक कंपनी है। उसे कंपनी के पिछले तीन सालों का EPS और प्राइस कुछ इस तरह है।
पहला साल – ( EPS = 20 , शेयर प्राइस = 200 )
पहले साल का PE ratio = 10
दूसरा साल – ( EPS = 21 , शेयर प्राइस = 210 )
दूसरे साल का PE ratio = 10
तीसरा साल – ( EPS = 22 , शेयर प्राइस = 220 )
तीसरे साल का PE ratio = 10
ऊपर दिए गए तीनों सालों के EPS देखकर आपको यह समझ में आएगा कि हर साल 5% से ग्रोथ हो रही है। जिसे नॉर्मली कम माना जाता है।
इस कंपनी का PE रेशों भी 10 है। इस रेशों को भी कम माना जाता है।
इसलिए हम यह कह सकते हैं कि XYZ लिमिटेड कंपनी एक low ग्रोथ वाली कंपनी है। दोस्तों लो ग्रोथ वाली कंपनियों के शेयर प्राइस तेजी से नहीं बढ़ पाते। इसीलिए इन कंपनियों के PE ratio भी कम होते हैं ।
ऐसी low PE वाली कंपनियों को देखकर हमें लगता है कि इनमें बिल्कुल भी निवेश नहीं करना चाहिए। लेकिन दोस्तों ऐसा बिल्कुल नहीं सोचना है ।
क्योंकि इस कंपनी में निवेश करना है या नहीं यह आपको आगे दिए गए examples को को पढ़ने के बाद समझ में आएगा।
PE Ratio Example – 2 ( High PE )
दोस्तों मान लेते हैं कि ABC लिमिटेड एक कंपनी है। उसे कंपनी के पिछले तीन सालों का EPS और प्राइस कुछ इस तरह है।
पहला साल – ( EPS = 20 , शेयर प्राइस = 300 )
पहले साल का PE ratio = 15
दूसरा साल – ( EPS = 40 , शेयर प्राइस = 1000 )
दूसरे साल का PE ratio = 25
तीसरा साल – ( EPS = 80 , शेयर प्राइस = 3200 )
तीसरे साल का PE ratio = 40
ऊपर दिए गए तीनों सालों के EPS देखकर आपको यह समझ में आएगा कि हर साल लगभग 100 % से ग्रोथ हो रही है। जिसे नॉर्मली बहुत ही ज्यादा high माना जाता है।
इस कंपनी का PE रेशों भी 40 है। इस रेशों को भी बहुत ही ज्यादा high माना जाता है।
इसलिए हम यह कह सकते हैं कि ABC लिमिटेड कंपनी एक High ग्रोथ वाली कंपनी के साथ high PE ratio वाली कंपनी है। दोस्तों इस high ग्रोथ वाली कंपनियों के शेयर प्राइस तेजी से बढ़ते है। इसीलिए इन कंपनियों के PE ratio भी बहुत ही ज्यादा होता है।
ऐसी कंपनियों के देखकर हमें यह लगता है कि हमें High PE ratio वाली कंपनियों में निवेश करना चाहिए। लेकिन दोस्तों ऐसा बिल्कुल नहीं सोचना है ।
इस कंपनी में निवेश करना है या नहीं यह आपको आगे दिए गए examples को को पढ़ने के बाद समझ में आएगा।
PE Ratio Example – 3
दोस्तों मान लेते हैं कि PQR लिमिटेड एक कंपनी है। उसे कंपनी के पिछले तीन सालों का EPS और प्राइस कुछ इस तरह है।
पहला साल – ( EPS = 20 , शेयर प्राइस = 200 )
पहले साल का PE ratio = 10
दूसरा साल – ( EPS = 15 , शेयर प्राइस = 195 )
दूसरे साल का PE ratio = 13
तीसरा साल – ( EPS = 10 , शेयर प्राइस = 180 )
तीसरे साल का PE ratio = 18
ऊपर दिए गए तीनों सालों के EPS और शेयर प्राइस को देखकर आपको यह समझ में आएगा कि हर साल यह दोनो की ग्रोथ कम हो रही है। पर फिर भी कंपनी का PE ratio बढ़ रहा है।
इस उदाहरण में अगर हम सिर्फ PE ratio को देखेंगे तो हमें लगेगा कि कंपनी ग्रो कर रही है। पर असल में ऐसा नहीं है। क्योंकि कंपनी का EPS हर साल कम हो रहा है। इसी कारण से कंपनी के शेयर प्राइस भी काम हो रही है।
यहां पर कंपनी का EPS कंपनी के शेयर प्राइस से ज्यादा तेजी से कम हो रहा है।
इसीलिए PE ratio कम होने के बजाय बढ़ रहा है। इसलिए ऐसी कंपनी का PE ratio बढ़ने के बाद कंपनी में निवेश करना अच्छा डिसीजन बात नहीं है।
PE Ratio Example – 4
दोस्तों मान लेते हैं कि EFG लिमिटेड एक कंपनी है। उसे कंपनी के पिछले तीन सालों का EPS और प्राइस कुछ इस तरह है।
पहला साल – ( EPS = 20 , शेयर प्राइस = 400 )
पहले साल का PE ratio = 20
दूसरा साल – ( EPS = 40 , शेयर प्राइस = 400 )
दूसरे साल का PE ratio = 10
तीसरा साल – ( EPS = 80 , शेयर प्राइस = 400 )
तीसरे साल का PE ratio = 5
ऊपर दिए गए तीनों सालों के EPS को देखकर यह समझ में आएगा कि हर साल EPS 100% से ग्रो हो रहा है। जिसे बहुत ही ज्यादा high माना जाता है। लेकिन यहां पर कंपनी के शेयर प्राइस में कोई चेंज नहीं है।
इसीलिए PE ratio बढ़ने के बजाय कम होता हुआ नजर आ रहा है। अगर इस उदाहरण में हम सिर्फ PE ratio को देखेंगे तो हमें लगेगा कि यह कंपनी ग्रो नहीं कर रही है। लेकिन असल में ऐसा नहीं है।
यहां पर कंपनी की EPS हर साल डबल होती जा रही है। पर किसी कारण से कंपनी का शेयर प्राइस बिल्कुल भी बढ़ नहीं रहा है। इसीलिए PE रेशियो बढ़ाने की बजाय घट रहा है।
इसलिए यह कंपनी का PE ratio घटना के बाद भी इस कंपनी में निवेश करना अच्छी बात हो सकती है।
Above Examples analysis (PE ratio kitna hona chahiye)
ऊपर दिए गए चार उदाहरण अगर आपने अच्छे से समझ लिए तो आपको नीचे दिए गए महत्वपूर्ण बातें समझ में आएगी। नीचे दी गई बातें PE रेशों कितना होना चाहिए? इस सवाल का जवाब देती है।
1) दोस्तों जनरली हाई PE ratio वाली कंपनियां हाई ग्रोथ होती है। और लो PE ratio वाली कंपनियां लो ग्रोथ होती है।
2) पर अक्सर किसी न किसी वजह से high ग्रोथ वाली कंपनी का PE ratio कम हो जाता है। और जब High ग्रोथ वाली कंपनियों का PE ratio कम हो जाता है। तब इस तरह के कंपनी को value stock कहा जाता है।
3) और अनुभवी इन्वेस्टर्स वैल्यू स्टॉक वाली कंपनियों में इन्वेस्ट करना पसंद करते हैं।
4) Low ग्रोथ वाली कंपनी का PE ratio किसी ने किसी कारण से बहुत ही high हो जाता है। इस तरह की कंपनियों को ओवरवैल्यूड स्टॉक कहा जाता है।
5) ओवरवैल्यूड कंपनियों में अनुभवी इन्वेस्टर निवेश नहीं करते हैं।
PE ratio निकालते समय important points
1) PE ratio कैलकुलेट करते समय यह याद रखना है कि दोनों कंपनियां एक ही इंडस्ट्रीज की होनी चाहिए।
2) अगर दोनों कंपनियां एक ही इंडस्ट्रीज की है, और दोनों का ग्रोथ रेट एक समान ही है। निवेश करते समय कम PE ratio वाली कंपनियों में निवेश करना चाहिए।
3) आपको करंट PE ratio को हिस्टोरिकल PE ratio से कंपेयर करना है।
4) PE ratio कम है , या फिर ज्यादा है, इस पर ध्यान देने के बजाय कंपनी के ग्रोथ रेट कैसा है इसे जरूर देखें।
PE ratio calculating websites
दोस्तों निवेश करने से पहले आप बहुत सारा रिसर्च करते हैं। लेकिन जो निवेशक नए हैं उन्हें रिसर्च करते समय सभी संकल्पनाओं की जानकारी नहीं होती है। इसीलिए उनके लिए हमने रेडीमेड PE ratio कैलकुलेट करने वाली वेबसाइट की लिस्ट नीचे दी है। आप इन वेबसाइट पर जाकर डायरेक्टली PE ratio देख सकते हैं।
1) Value
2) Research
3) Moneycontrol
4) Morningstar
5) Screener Tickettap
PE ratio उपयोग
1) PE ratio kya hota, PE ratio kitna hona chaiye यह जानने के बाद आपको कंपनी का एनालिसिस करने में मदद होती है।
2) यह रेशों देखने के बाद कंपनी के वित्तीय स्वास्थ्य की जानकारी मिलती है।
3) बाकी कंपनियां से कंपैरिजन करने में इस रेशों की मदद होती है।
4) यह एक निर्धारित समय के लिए होता है। इसीलिए निवेश करते समय वित्तीय दृष्टिकोण से इसे बहुत ज्यादा महत्व नहीं दिया जाता।
5) PE ratio को देखने के बाद भी निवेश करने से पहले आपको बाकी बातों को ध्यान में रखना पड़ता है।
FAQ (Pe ratio kitna hona chahiye)
1) निवेश करते समय Pe ratio kitna hona chahiye?
किसी भी कंपनी में निवेश करते समय Pe ratio kitna hona chahiye कितना होना चाहिए यह उसे कंपनी के ओवरऑल ग्रोथ पर निर्भर करता है।
2) PE ratio का इंग्लिश में फुल फॉर्म क्या है?
PE ratio का इंग्लिश में फुल फॉर्म Price to Earings ratio है।
3) PE ratio का फार्मूला क्या है?
PE ratio = Current market price of one share/ Earing per Share (EPS) यह फार्मूला है।
4) PE ratio कैलकुलेट करने के लिए किन आंकड़ों की जरूरत पड़ती है?
PE ratio कैलकुलेट करने के लिए करंट मार्केट प्राइस और EPS की जरूरत पड़ती है।
5) PE ratio के कितने प्रकार होते हैं?
PE ratio प्रमुख दो प्रकार होते हैं।
Conclusion (Pe ratio kitna hona chahiye)
दोस्तों Pe ratio kya hota है यह लगभग सभी ट्रेडर्स को मालूम होने के बाद भी PE ratio kitna hona chahiye यह तय करना मुश्किल होता है। लेकिन इस लेख में में हमने चार उदाहरण के साथ विस्तार से PE रेशों कितना होना चाहिए बताने की कोशिश की है।
साथ में हमने PE ratio कैलकुलेट करने के लिए फार्मूला दिया है। उस फार्मूले में होने वाले सभी संकल्पना हमने पिछले आर्टिकल में कवर करने की कोशिश की है। इसलिए अगर आपको PE रेशों क्या होता है, इसमें कंफ्यूजन है। तो आप वह आर्टिकल पढ़ सकते हैं।
इस वेबसाइट पर हम फ्री में शेयर मार्केट सीखने के लिए शेयर बाजार की सभी संकल्पनाओं को विस्तार से बताने की कोशिश करते हैं। इसलिए आपको फ्री में जानकारी चाहिए तो आप हमारे बाकी के सभी लेख पढ़ सकते हैं।

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