शेयर बाजार में Square off kya hota hai/ Square off meaning in hindi

अगर आप शेयर मार्केट के बारे में थोड़ी बहुत जानकारी रखते है, तो आपने “पोजिशन square off” का सुना होगा।

इसीलिए दोस्तों जब आप शेयर बाजार सीखने की कोशिश करते हैं तब आपको “square off kya hota hai” यह जरूर मालूम होना चाहिए।

अगर आपने यह लेख अच्छे से पढ़ लिया तो, मैं आपसे वादा करता हूं आपको फिर से “square off meaning in hindi” यह सर्च करने की जरूरत नहीं पड़ेगी।

शेयर बाजार में square off kya hota hai

स्क्वायर ऑफ ज्यादातर ट्रेडिंग करते समय इस्तेमाल होता है।

Auto Sqaure Off kya hota hai

जब हम किसी शेयर्स को खरीद लेते हैं, कुछ समय बाद उसे बेचना भी पड़ता है। ठीक उसी प्रकार शॉर्ट सेलिंग में जब हम किसी शेयर को बेचते हैं, तब कुछ समय बाद उसे खरीदना पड़ता है।

इसीलिए खरीदे हुए शेयर को समय के अंदर बेचना, या फिर बेच हुए शेयर को समय के अंदर खरीदना उसे स्क्वायर ऑफ कहा जाता है। यह टर्म ज्यादातर इंट्राडे ट्रेडिंग करते समय  इस्तेमाल की जाती है।

आप ट्रेडिंग करते हैं तब आपको शेयर बाजार बंद होने से पहले अपने ब्रोकर आपके टाइमिंग के अनुसार ट्रेड को पूरा करना होता है। लगभग सभी ब्रोकर एप्स का टाइमिंग दोपहर के 3:5 से लेकर 3:20 तक होता है।

स्क्वायर ऑफ कैसे करते हैं

दोस्तों स्क्वायर ऑफ क्या है, यह जानने के बाद आपको रियल ट्रेडिंग करते समय स्क्वायर का करना भी आना चाहिए।

अगर आपने समय के पहले अपनी पोजीशन को उसके रोक नहीं किया तो आपको बड़ा खामियाजा भुगतना पड़ सकता है।  इसीलिए के लिए जानते हैं कि स्क्वायर ऑफ कैसे किया जाता है।

Sqaure Off Example

मान लीजिए कि स्टॉक मार्केट शुरू होने के बाद आपने 15 – 20 मिनट टेक्निकल एनालिसिस किया। मार्केट बुलिश होने के कारण आपने शेयर खरीदने का फैसला किया।

आपने एबीसी लिमिटेड कंपनी के शेयर्स की 100 क्वांटिटी 200 मार्केट प्राइस पर खरीद ली। शेयर्स को खरीदने के बाद आपने स्टॉपलॉस लगाए बगैर अपनी पोजीशन को खुला छोड़ दिया। मार्केट बुलिश होने के कारण आपने लिया हुआ शेयर्स प्रॉफिट में चला गया। और जब शेयर्स 250 पर पहुंच जाता है तब आप अपनी पोजीशन को स्क्वायर ऑफ करते हो, यानी की एग्जिट करते हो।

इस प्रकार स्क्वायर ऑफ करना बिल्कुल आसान होता है।
जब आप शेयर्स को खरीदने हो तब प्रॉफिट बुक करने के बाद आपको शेयर्स को एग्जिट करना है, और जब आप शेयर्स को बेचते हो तब प्रॉफिट मिलने के बाद आपको शेयर को फिर से खरीदने के बाद एग्जिट करना है।

इसी प्रकार समय रहते जब हम ट्रेड से एग्जिट करते हैं तब उसे स्क्वायर ऑफ कहा जाता है।

Auto Sqaure Off kya hota hai

दोस्तों जब आप ट्रेड में एंट्री लेने के बाद स्टॉप लॉस और टारगेट लगाए बगैर अपनी पोजीशन को खुला छोड़ देते हैं। और ट्रेड से एग्जिट करना भूल जाते हैं। तब आपका ब्रोकर आपको बताएं बगैर शेयर मार्केट बंद होने से पहले, आपके ट्रेड को पूरा कर देता है, यानी की ब्रोकर खुद स्क्वायर ऑफ कर देता है, तब उसे ऑटो स्पेयर ऑफ कहा जाता है।

दोस्तों ऑटो स्क्वायर ऑफ करना आपके लिए नुकसानदायक हो सकता है। क्योंकि जब कभी ब्रोकर ऑटो स्क्वायर ऑफ करता है तब आपको एक्स्ट्रा चार्ज देने पड़ते हैं।

इसीलिए हर एक ट्रेडर को ट्रेड में एंट्री लेने के बाद स्टॉप लॉस और टारगेट लगाकर, रिस्क और रिवॉर्ड रेशों मैनेज करके, ट्रेड से एग्जिट करने का बंदोबस्त करना चाहिए।

Auto Sqaure Off में कितना चार्ज लगता है

दोस्तों ऑटो स्क्वायर ऑफ में अलग-अलग ब्रोकर अलग-अलग चार्ज लगता है। ऑटो स्क्वायर ऑफ के चार्ज मालूम करने के लिए आपको आपके ब्रोकर के app द्वारा जानकारी लेनी चाहिए।

लेकिन ऑटो स्क्वायर ऑफ होने से पहले हर किसी को अपनी पोजीशन को उसके ऑफ करना चाहिए। इससे आप अपना नुकसान होने से बचा सकते हैं।

 Sqaure Off time क्या होता है

दोस्तों हर एक ब्रोकर app का स्क्वायर ऑफ टाइम अलग-अलग होता है। इसीलिए आपको आपके ब्रोकर ऐप से स्क्वायर ऑफ टाइमिंग के बारे में जानकारी लेनी चाहिए।

लेकिन ज्यादातर स्क्वायर का टाइम्स दोपहर के 3:5 से लेकर 3:20 के बीच होते हैं।

लेकिन फ्यूचर स्क्वायर ऑफ टाइमिंग शाम के 4:45 से 4:50 तक होते हैं।

जब आप ट्रेडिंग सीखने हैं तब आपको स्क्वायर ऑफ टाइमिंग की जानकारी जरूर होनी चाहिए।

इंट्राडे ट्रेडिंग स्क्वायर ऑफ क्या होता है

दोस्तों जब आप शेयर मार्केट शुरू होने के बाद इंट्राडे में शेयर्स को खरीदने हैं, या फिर बेचते हैं, उसी दिन आपको शेयर्स की पोजीशन को स्क्वायर ऑफ करना पड़ता है।

इसका मतलब यह होता है कि इंट्राडे ट्रेडिंग करते समय सुबह के 9:15 से लेकर शाम के 3:20 तक खरीदे हुए सभी शेयर्स को आपको इस टाइम लिमिट में बेचना पड़ता है, और अगर आपने शेयर्स को शॉर्ट सेलिंग करते समय किसी शेर को बचा है, तो इस टाइम लिमिट में आपको उसे फिर से खरीदना पड़ता है और ट्रेड को पूरा करना पड़ता है।

ऑप्शन ट्रेडिंग स्क्वायर ऑफ क्या होता  है

ऑप्शन ट्रेडिंग करते समय हम एक्सपायरी तक ट्रेड को होल्ड कर सकते हैं। लेकिन एक्सपायरी पास आने पर हमें उसे ट्रेड को पूरा करना पड़ता है। अगर हमने ट्रेड को पूरा नहीं किया तो वह ट्रेड अपने आप हमारे ब्रोकर द्वारा पूरा किया जाता है यानी की, स्क्वायर ऑफ कर दिया जाता है। इसी को ऑप्शन ट्रेडिंग में स्क्वायर और कहते हैं।

इसे एक उदाहरण से हम समझते हैं।

मान लीजिए  निफ्टी 50 अभी 21000 पर ट्रेड कर रहा है, और अगले महीने  22000 पर जा सकती है। इसीलिए हमने कॉल ऑप्शन खरीद लिया।

लेकिन हमारी उम्मीद के अनुसार मार्केट ने बर्ताव नहीं किया और मार्केट नीचे चला गया। तब हमें हमारी पोजीशन एक्सपायर होने से पहले स्क्वायर ऑफ कर लेनी चाहिए। अगर हमने हमारी पोजीशन स्क्वायर ऑफ नहीं की तो हमारा सारा पैसा डूब जाएगा।

फ्यूचर ट्रेडिंग स्क्वायर ऑफ क्या होता है

दोस्तों हम फ्यूचर में 3 महीने तक कॉन्ट्रैक्ट खरीद सकते हैं,  फ्यूचर ट्रेडिंग करते समय भी आपको एक्सपायरी पास आने से पहले अपने पोजीशन को स्क्वायर ऑफ करना चाहिए नहीं तो आपको खामियाजा भुगतना पड़ सकता है।

इसलिए इसे भी एक उदाहरण से जानते हैं

मान लीजिए की निफ्टी 50 अभी 21500 पर चल रही है, और हमें लगता है कि अगले महीने यह और बढ़ सकती है। इसीलिए हम फ्यूचर का कॉन्ट्रैक्ट खरीदते हैं।

अगर मार्केट में हमारे मुताबिक बर्ताव किया तो हमें प्रॉफिट होने के बाद हम हमारी पोजीशन स्क्वायर ऑफ कर सकते हैं।

FAQ

1) अगर पोजीशन को स्क्वायर ऑफ नहीं किया तो क्या होता है?
अगर टॉप नहीं किया तो स्टॉक ब्रोकर हमें बताएं बगैर हमारी पोजीशन को स्क्वायर ऑफ कर देता है।

2) स्क्वायर ऑफ क्या होता है?
किसी भी ट्रेड में एंट्री लेने के बाद एक टाइम लिमिट में आपको वह ट्रेड पूरा करना होता है, यानी कि ट्रेड से एग्जिट लेनी पड़ती है, जब आप समय रहते हुए ट्रेड पूरा करते हैं तब उसे स्क्वायर का कहते हैं।

3) स्क्वायर ऑफ पोजीशन का क्या मतलब है?
जब आप किसी शेयर को खरीदते हैं, तब वक्त रहते समय उसे बेचना, या फिर जब आप किसी शेयर्स को बेचते हैं तब वक्त रहते समय उसे फिर से खरीदना, यानी कि ट्रेड को एक फिक्स अवधि में पूरा करने को स्क्वायर ऑफ पोजीशन कहा जाता है।

Conclusion

दोस्तों इस लेख में हमने जो लोग शेयर बाजार में नए होते हैं, उनके लिए स्क्वायर ऑफ क्या होता है यह संकल्पना को विस्तार से समझने की कोशिश की है। स्क्वायर ऑफ क्या होता है, स्क्वायर ऑफ का टाइमिंग क्या है, उसे कैसे करते हैं, आदि विषयों को हमने विस्तार से बताया है। यह लेख “शेयर बाजार में Square off meaning in hindi” पढ़ने के बाद अगर आपके मन में कोई सवाल उत्पन्न होता है तो आप हमें नीचे पूछ सकते हैं।

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